Bhopal News : दूसरे दिन नवाचार और विज्ञान शिक्षकों पर फोकस रहा भोपाल विज्ञान मेला,मेले में डेढ़ सौ से ज्यादा मॉडल आए

Bhopal: On the second day, the focus of Bhopal Science Fair was on innovation and science teachers, more than

मेले में मॉडल दिखाते स्टूडेंट

On The Second Day, The Focus Of Bhopal Science Fair Was On Innovation And Science Teachers, More Than : राजधानी भोपाल जंबूरी मैदान में आयोजित 11वें विज्ञान मेले का दूसरा दिन ज्ञान, संवाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नवाचारों पर फोकस रहा। इस कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थी संवाद सत्र के साथ हुई। जिसमे मुख्य वक्ता डॉ. सुनील चतुर्वेदी थे | इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करना था। मेले में प्रदेश भर के स्कूल-कॉलेज के विज्ञान के स्टूडेंट के डेढ़ सौ से ज्यादा मॉडल आए हैं। विज्ञान मेला 30 दिसंबर तक चलेगा। अगले 3 दिन आप मेले में जाकर मॉडल देख सकते हैं। आखिरी दिन श्रेष्ठ मॉडलों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।

विज्ञान को अज्ञात से ज्ञात की ओर यात्रा

डॉ. सुनील चतुर्वेदी ने विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ते हुए छात्रों को बताया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी दैनिक जीवनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने विज्ञान को “अज्ञात से ज्ञात की ओर यात्रा” के रूप में परिभाषित किया और बताया कि विज्ञान का उद्देश्य नई खोजों और नवाचारों के माध्यम से मानव जीवन को सरल और बेहतर बनाना है। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे शोध (Research) हमारे भविष्य को आकार देता है और विज्ञान के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए 18वीं शताब्दी तक के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक घटनाक्रमों की जानकारी दी।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक

दूसरे दिन रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा ‘साइकिल की चेन’ नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। इस नाटक में स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, समाज कल्याण और विज्ञान से जुड़े मुद्दों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटक में संगीत और संवाद का अत्यंत सुंदर संयोजन था, जिसने उपस्थित दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

शिक्षक कार्यशाला

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में विज्ञान शिक्षक कार्यशाला आयोजित की गई | इस कार्यशाला में शिक्षकों को विज्ञान शिक्षा के नए तरीकों से अवगत कराया गया। इस सत्र में विशेषज्ञ संजय कौरव ने बताया कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे छात्रों की दैनिक जीवन की समस्याओं से जोड़ना चाहिए। उन्होंने अब्दुल कलाम की पुस्तक के महत्वपूर्ण उद्धरणों का हवाला देते हुए शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे छात्रों को आत्मविश्वास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ तैयार करें। एक और विशेषज्ञ डॉ. रवि कुमार ने कार्यशाला में विज्ञान को रुचिकर बनाने के व्यावहारिक तरीकों पर जोर दिया। उन्होंने गणित और विज्ञान को इतिहास और संस्कृति से जोड़कर पढ़ाने के महत्व को समझाया।

वैज्ञानिक प्रदर्शनी और मॉडलों का प्रदर्शन

विज्ञान मेले में छात्रों और कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा 150 से अधिक वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत किए गए। इन मॉडलों में कृषि, पर्यावरण, स्वास्थ्य और तकनीकी समस्याओं के समाधान पर आधारित नवाचारों को प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में विशेष रूप से उन मॉडलों को सराहा गया, जो दैनिक जीवन की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं।

आदिवासी कला और वैज्ञानिक परंपरा

कार्यक्रम में एक विशेष सत्र में आदिवासी समुदायों की लौह अयस्क गलाने (Iron Ore Smelting) की परंपरागत तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन सभी के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और रोचक रहा।

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