माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय
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गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने लोकपाल की नियुक्ति न करने पर एमसीयू का नाम डिफॉल्टर विश्वविद्यालय की सूची में शामिल कर लिया था। जबकि एमसीयू के कुलगुरु डॉ केजी सुरेश के प्रयासों से विश्वविद्यालय द्वारा 7 जून को ही पूर्व सेवानिवृत प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश सुनरया की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए थे। जिसके बाद कि एमसीयू के कुलगुरु ने इस विषय में गहरी आपत्ति दर्ज कराते हुए यूजीसी को पत्र लिखा था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कदम उठाते हुए नई अपडेटेड सूची जारी कि जिसमें एमसीयू का नाम डिफॉल्टर विश्वविद्यालय की सूची से हटा दिया है।
संवादहीनता की वजह से हुई गलतफहमी
इस बारे में प्रो. सुरेश ने यूजीसी को धन्यवाद ज्ञापित किया है। उन्होंने आभार प्रकट करते हुए कहा कि संवादहीनता की वजह से कुछ गलतफहमी हो गई थी, जिसे यूजीसी ने सुधार लिया है। प्रो. सुरेश ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया के बीच लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लग गई थी। इसके हटने के तत्काल बाद 7 जून को लोकपाल की नियुक्ति के आदेश एमसीयू प्रशासन द्वारा जारी कर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय यूजीसी के सभी नियमों का सुचारु रूप से पालन करता है एवं शीघ्रता के साथ लागू भी करता है। कुलगुरु प्रो. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी एमसीयू द्वारा तीन साल पहले ही लागू किया जा चुका है। जबकि कई विश्वविद्यालयों में अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। लेकिन एमसीयू हर विषय में गंभीरता दिखाते हुए बहुत शीघ्रता के साथ निर्णय लेता है।