चुनाव के ठीक पहले सरकार ने महापौर, नगर निगम आयुक्त और नगर निकायों (नगर पालिका और नगर परिषद ) के अध्यक्षों के साथ ही उनकी कैबिनेट यानी प्रेसिडेंट इन काउंसिल को आर्थिक रूप से ताकतवर बना दिया है। अब उनकी आर्थिक शक्तियां दोगुनी हो गई हैं। इससे फायदा यह होगा कि आचार संहिता के लगने से पहले बड़ी संख्या में नगर निकायों में कामों को मंजूर किया। जा सकेगा, स्वीकृति की राह नहीं देखनी होगी, फाइल नहीं अटकेंगीं।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने किया नियमों में संशोधन
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नगर पालिक निगम वित्त एवं लेखा नियम 2018 में संशोधन करते हुए कामों की स्वीकृति संबंधी वित्तीय अधिकार दोगुना किए हैं।
नगर निगम
5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के महापौरों को 5करोड़ की वित्तीय शक्तियां मिली थी ,अब इसे बढ़ाकर 10 करोड रुपए तक कर दिया गया है । महापौर काउंसिल 10 करोड रुपए के कार्यों की मंजूरी दे सकती थी, इसके पावर बढ़ाते हुए राशि 20 करोड रुपए कर दी गई है। नगर निगम परिषद को 20 करोड़ से अधिक लागत के कम मंजूर करने का अधिकार दिया गया है। कमिश्नर को भी दो करोड़ की जगह 5 करोड रुपए तक के कामों के लिए सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है। इसी तरह 5 लाख तक जनसंख्या के शहरों में महापौर एक करोड़ से अधिक पर 5 करोड़ से कम एम आई सी 5 से 10 करोड़ और निगम परिषद 10 करोड़ से अधिक लागत के कार्य मंजूर कर सकेगी कमिश्नर को एक करोड रुपए के अधिकार दिए गए हैं।
नगर पालिका ऐसे होगी पावर फुल?
मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 5लाख तक, अध्यक्ष को 5 से 10 लाख तक। प्रेसीडेंसी काउंसिल को 10 लाख से 40 लाख तक। नगर पालिका परिषद को 40 लाख से 5 करोड़ तक। नगरी प्रशासन कमिश्नर को 5 से 30 करोड़ तक और राज्य सरकार को 30 करोड़ से अधिक के कामों के लिए वित्तीय पावर दिए गए हैं।
नगर परिषद के ऐसे बढ़े अधिकार ?
मुख्य नगर पालिका अधिकारी 2 लाख तक अध्यक्ष 2 से 5 लाख तक प्रतिदिन काउंसिल 5 से 20 लाख नगर पालिका परिषद 20 लाख से ढाई करोड़ नगरी प्रशासन कमिश्नर ढाई से 30 करोड़ तक। र 30 करोड़ से अधिक के कामों की स्वीकृति राज्य सरकार देगी।