Azamgarh Loksabha : आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव, दिनेश लाल निरहुआ, गुड्डु जमाली सपोर्ट वोटर फैक्टर

2022 में हुए उपचुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट गंवाने वाली समाजवादी पार्टी ने इस बार इस सीट को जीतने के लिए अपना अभियान तेज कर दिया है। सपा के मुस्लिम-यादव समीकरण में फिट बैठने वाली आजमगढ़ सीट से 2014 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और 2019 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी, मगर 2022 में करहल विधानसभा सीट से जीत हासिल करने के बाद अखिलेश ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को शिकस्त दी थी।

2014 के लोकसभा चुनाव और 2022 के उपचुनाव में सपा और भाजपा को शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली कड़ी टक्कर दी थी। उनके बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़कर सपा का दामन थामने से स्थानीय सपा कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं। आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से 2 बार (2012 और 2017 में) बसपा विधायक रहे गुड्डू जमाली की जिले में अच्छी पकड़ मानी जाती है। उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से 2014 का चुनाव और 2022 का उपचुनाव बसपा के टिकट पर क्रमशः सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और धर्मेंद्र यादव के खिलाफ लड़ा था।

गुड्डू जमाली कितने बड़े फैक्टर?

साल 2022 के उपचुनाव में जमाली ने बसपा उम्मीदवार के रूप में 2,66,210 वोट हासिल किए थे। माना जा रहा है कि खासकर मुस्लिम मतदाताओं ने उन्हें बड़े पैमाने पर समर्थन दिया था। उस चुनाव में भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने 3.12 लाख वोट हासिल कर विजय प्राप्त की थी, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के धर्मेंद्र यादव को 3.04 लाख वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जमाली आजमगढ़ से 2.66 लाख से अधिक वोट हासिल करके तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि मुलायम सिंह यादव ने 3.40 लाख वोट हासिल करके सीट जीती थी।

सपा की आजमगढ़ इकाई के जिला अध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा, ‘इस बार इस सीट से हमारी पार्टी की जीत होगी। हमने यहां काफी जमीनी काम किया है।’ जमाली के पार्टी में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘जाहिर तौर पर उनके साथ होने के बाद हम प्रतिद्वंद्वियों को हरा देंगे। उनकी जमीनी उपस्थिति है और उनके समर्थकों की अच्छी-खासी तादाद है।’ गत 28 फरवरी को सपा में शामिल हुए जमाली पेशे से व्यवसायी हैं और जिले में राजनीतिक रूप से भी काफी सक्रिय हैं।

जमाली ने कहा, ‘मैं सपा में शामिल हो गया हूं और यह सुनिश्चित करूंगा कि जो भी इस सीट से चुनाव लड़े, वह जीते।’ उन्होंने कहा कि मैं उसूलों पर चलने वाला व्यक्ति हूं। मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए मैं यहां (सपा में) हूं। मैं बाकी सारी जिंदगी यहीं पर रहूंगा और पार्टी के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सुनिश्चित करूंगा। बीजेपी ने आजमगढ़ सीट से मौजूदा सांसद व भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को एक बार फिर उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि, सपा ने अब तक इस सीट से किसी को टिकट नहीं दिया है। इस सीट से पार्टी नेता धर्मेंद्र यादव को फिर से मैदान में उतारे जाने की संभावना है। स्थानीय भाजपा नेताओं ने कहा कि इस सीट से उम्मीदवार चाहे जो भी हो लेकिन लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है। उन्होंने भरोसा जताया कि निरहुआ इस सीट से दोबारा जीतेंगे।

मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों को बढ़त रही

इतिहास पर निगाह डालें तो 1996 से आजमगढ़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम और यादव उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। रमाकांत यादव ने 1996 और 1999 में सपा उम्मीदवार के रूप में यह सीट जीती थी। उन्होंने 2004 में बसपा उम्मीदवार के रूप में और 2009 में भाजपा के टिकट पर इसे फिर से जीता था। इस सीट से 1998 और 2008 (उपचुनाव) में बसपा के अकबर अहमद डंपी जीते थे।

साल 2014 के आम चुनावों में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट जीतने में सफल रहे थे और 35.43 प्रतिशत वोट हासिल करके भाजपा उम्मीदवार रमाकांत यादव को 63,000 वोटों से हराया था। रमाकांत को 28.85 फीसदी वोट मिले थे, वहीं, बसपा प्रत्याशी जमाली को 27.75 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2019 में भाजपा के निरहुआ को हराकर यह सीट जीती थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर आते हैं और वर्तमान में इन सभी पर सपा का कब्जा है।

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