दिल्ली मे आसान नहीं आतिशी की राह, सामने कौन सी चुनौतियां?

ऐसे में जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चंद महीने शेष हैं, सीएम के तौर पर आतिशी की राह इतनी आसान भी नहीं होने वाली है। इस रिपोर्ट में जानिये उनके सामने कौन सी होंगी बड़ी चुनौतियां?

अरविंद केजरीवाल के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को इस्तीफा सौंपने के साथ ही आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। इससे पहले विधायक दल की बैठक में नए सीएम चेहरे के रूप में उनके नाम पर मुहर लगा दी गई। आतिशी ने कहा कि मैं अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में सीएम के रूप में काम करूंगी। मैं अगले कुछ महीने एक ही लक्ष्य के साथ काम करूंगी कि केजरीवाल को दोबारा सीएम पद पर बैठाया जाए। ऐसे में जब चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं सीएम के तौर पर आतिशी के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी।

विपक्ष के हमलों का कामकाज से देना होगा जवाब

ऐसे में जब विपक्ष बार-बार दिल्ली सरकार पर कुप्रबंधन के आरोप लगा रहा है। वह लगातार तीखे हमले कर रहा है। आतिशी को सरकार के कामकाज में तेजी लाने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा। उनको सुनिश्चित करना होगा कि फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रमुख परियोजनाएं और योजनाएं पटरी पर लौट आएं क्योंकि अरविंद केजरीवाल के पांच महीने जेल में रहने के कारण काम बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

केजरीवाल के वादों को करना होगा पूरा

ऐसे में जब दिल्ली सरकार सड़क, जलापूर्ति, सीवर, दवा समेत बुनियादी सेवाओं से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए चुनौतियों से जूझ रही है। यही नहीं जब कथित तौर पर धन की कमी का हवाला दिया जाता रहा है। आतिशी के सामने विकास कार्यों को धरातल पर दिखाने की बड़ी चुनौती होगी। कम समय के लिए सीएम रहने के दौरान आतिशी को ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के तहत दिल्ली में पात्र महिलाओं को 1,000 रुपये मानदेय देने के केजरीवाल के वादे को भी अमल में लाना होगा।

कैबिनेट गठन, वरिष्ठ नेताओं को भी लेना होगा साथ

वहीं अधिकारियों ने बताया कि आतिशी के सामने सबसे प्रमुख कार्यों में नई कैबिनेट का गठन होगा। इसमें आतिशी को उन चेहरों को प्राथमिकता देनी होगी जो उनके और अरविंद केजरीवाल के इशारों को समझते हुए तेजी से कार्यों को आगे बढ़ा सकें। आतिशी को पार्टी के भीतर वरिष्ठ नेताओं का भी विश्वास जीतना होगा। इससे विपक्ष के हमलों से निपटने में आसानी होगी।   

इन योजनाओं को अमल में लाना होगा

अधिकारियों ने यह भी बताया कि आतिशी के सामने ग्रुप ‘ए’ तैनाती के लिए जरूरी ‘नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी’ (एनसीसीएसए) की बैठक आयोजित करना, सेवाओं को घर तक पहुंचाने की योजना को फिर शुरू करना, दिल्ली इलेक्ट्रिक वीकल नीति 2.0 और सौर नीति को मंजूरी देने जैसे कार्यों को धरातल पर उतारना शामिल है।

सड़क, स्वास्थ्य, सीवर, जलापूर्ति करनी होगी दुरुस्त

ऐसे में जब सर्दियां शुरू होने वाली हैं आतिशी के सामने प्रदूषण की समस्या पर भी रोकथाम की चुनौती होगी। अधिकारियों ने बताया कि ऐसे में जब चुनाव के चंद महीने बचे हैं, आतिशी सड़क, जलापूर्ति, सीवर, प्रदूषण, सब्सिडी के वितरण और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वेतन संशोधन से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं को गति देने में व्यस्त रहेंगी। साथ ही बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं पर लंबित कार्यों करने पर जोर देंगी।

(पीटीआई-भाषा के इनपुट पर आधारित रिपोर्ट)

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