पंचायत सचिव की नियुक्ति अवैध, हाई कोर्ट का आदेश

जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने ऐसे पंचायत सचिव की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया है। जिसका चयन ग्राम सभा में बहुमत के आधार पर हुआ था।

ग्राम पंचायत में कर्मचारियों की नियुक्ति के नियम

यह मामला मध्य प्रदेश के जिला मऊगंज की ग्राम पंचायत रामपुर में सच्चिदानंद शुक्ला की ग्राम पंचायत सचिव के पद पर हुई नियुक्ति के विषय में था। विद्वान न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा द्वारा फैसला सुनाया गया। हाई कोर्ट के डिसीजन में स्पष्ट किया गया है कि पंचायत राज अधिनियम 1993 के प्रावधान एवं मध्य प्रदेश शासन द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 27 जनवरी 2006 के अनुसार ग्राम पंचायत में किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति उसकी योग्यता के आधार पर ही की जा सकती है। ग्राम सभा में पंचों के बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित करके किसी अयोग्य व्यक्ति को अथवा उपलब्ध उम्मीदवारों में कम योग्य व्यक्ति को नियुक्ति प्रदान नहीं की जा सकती है। इस प्रकार की नियुक्ति अवैध है।

मध्य प्रदेश में ऐसे हजारों मामले हैं
यहां उल्लेख करना उचित होगा कि यह मामला सिर्फ एक ग्राम पंचायत और सिर्फ एक कर्मचारी की नियुक्ति का नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश में ऐसे हजारों मामले हैं, जहां ग्राम पंचायत की सभा में ठहराव प्रस्ताव के आधार पर पंचायत सचिव अथवा रोजगार सहायक की नियुक्ति की गई है। अब देखना यह है कि क्या मध्य प्रदेश शासन इस फैसले के आधार पर ग्राम पंचायत में हुई सभी नियुक्तियां की जांच करवाता है या फिर पूरे मध्य प्रदेश से इस प्रकार के हजारों पिटीशन दाखिल होने का इंतजार करता है।

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