Anuppur News : गांव में पीने के पानी की सुविधा नहीं, ग्रामीण दरारों से निकल रहा गंदा पानी पी रहे

अनूपपुर जिले में पेयजल व्यवस्था बनाने के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत करोड़ों रुपए की राशि खर्च किए जाने के बावजूद आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में आज भी बैगा बाहुल्य ग्राम में पेयजल व्यवस्था नहीं बन पाई है। लगभग 500 की आबादी वाले इस गांव के लोगों को गंदे झिरिया का पानी 2 किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है। ज्यादा गर्मी बढ़ने पर यह झिरिया भी धीरे-धीरे सूखने लग जाता है। ऐसे में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना ग्रीष्म ऋतु में करना पड़ता है। बीते वर्ष गंदे पानी के सेवन से पुष्पराजगढ़ विकासखंड के करपा से लगे गांव में दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी। इसके बावजूद पुष्पराजगढ़ विकासखंड में मजबूरी में ग्रामीणों को गंदे पानी का सेवन करना पड़ता है, क्योंकि यहां अन्य किसी तरह की व्यवस्था ग्रामीणों के लिए नहीं है।

पुष्पराजगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत केकरिया के ग्राम तनाजा में बैगा ग्रामीणों की संख्या सर्वाधिक हैं। इस गांव में अब तक पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है। यहां के ग्रामीणों को 2 किलोमीटर दूर से गंदे झिरिया का पानी लाना पड़ता है। लंबे समय से यहां पेयजल की समस्या बनी हुई है, जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत और जनपद तथा जनसुनवाई में भी जिले के अधिकारियों से की लेकिन आज तक यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं बन पाई।

गर्मी का मौसम आते ही सताने लगती है चिंता

ग्रामीण धरमू बैगा ने बताया कि गर्मियों का मौसम जैसे-जैसे नजदीक आता है वैसे-वैसे गांव के लोगों की चिंता बढ़ने लग जाती है। जिसका कारण यहां की पेयजल समस्या है। सिर्फ एक झिरिया के भरोसे ही यहां के ग्रामीणों का गुजारा होता है और मई तथा जून की गर्मियों में इससे भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता है। ऐसे में सुबह से शाम तक ग्रामीण इसके पास बैठकर पानी भरने का इंतजार करते हैं।

नहीं होती सुनवाई

ग्रामीण सुनहर बैगा ने कहा कि गांव में होने वाली पेयजल की समस्या की जानकारी कई बार ग्राम पंचायत जनपद पंचायत और जिले के अधिकारियों को दी गई। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान विधायक और सांसद को भी अपनी समस्या हमने बताई, लेकिन कोई भी हमारी परेशानी को आज तक दूर नहीं कर पाया।

गंदे पानी के सेवन से बीमार हो जाते हैं बच्चे

ग्रामीण सुधराम बैगा ने कहा कि झिरिया का अपनी मजबूरी में पीना पड़ता है, क्योंकि यह गंदा होता है इसकी वजह से बच्चे बीमार भी हो जाते हैं। यदि हमारे गांव में कोई अन्य व्यवस्था बना दी जाए तो गांव के लोगों की परेशानी दूर हो जाएगी। नल जल योजना और हैंड पंप की सुविधा यहां दिए जाने से यह समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन अधिकारी इस पर सुन ही नहीं रहे हैं।

दो किलोमीटर दूर जाने और आने में थक जाता है शरीर

ग्रामीण रामफल बैगा ने बताया कि झिरिया का जो कुंड है गांव से उसकी दूरी लगभग दो किलोमीटर की है और वहां तक पानी से भरा हुआ बर्तन लाने में शरीर थक जाता है। ज्यादातर घरों में बच्चे और महिलाएं यह काम करते हैं, लेकिन जिन घरों में बच्चे नहीं हैं वहां बुजुर्गों को ही यह करना पड़ता है जिसमें काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

मामले में जब हमने अनूपपुर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ दीपक साहू से बात की, तो उन्होंने भी आश्वासन ही दिया। उनका कहना है कि संबंधित ग्राम पंचायत की कार्ययोजना तैयार करते हुए वहां पेयजल समस्या को दूर किया जाएगा। लेकिन कब तक समस्याक का हल होगा, इसका कोई उत्तर नहीं मिल सका।

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