AIIMS Doctors Warning Label on Wine Bottle |”शराब से कैंसर होता है” – अब बोतलों पर लगें चेतावनी लेबल: एम्स डॉक्टरों की सख्त मांग

एम्स के डॉक्टरों ने कहा, तत्काल शराब की बोतल पर कैंसरकारक वार्निंग लेबल लगाओ
नई दिल्ली | जुलाई 2025
देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थान एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने शराब की बोतलों पर कैंसर चेतावनी लेबल अनिवार्य करने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि जैसे तंबाकू उत्पादों पर ‘धूम्रपान से कैंसर होता है’ की चेतावनी अनिवार्य है, वैसे ही अब शराब की बोतलों पर भी स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए – “शराब पीने से कैंसर होता है”।

शराब: एक सिद्ध कार्सिनोजेन, लेकिन जन-जागरूकता शून्य के बराबर

एम्स के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर, डॉ. वैभव साहनी और डॉ. दीपक सैनी द्वारा ‘फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार शराब सेवन से कम से कम 7 प्रकार के कैंसर होते हैं। इनमें शामिल हैं –

कोलन/रेक्टम, लिवर, स्तन, इसोफैगस, लैरिंक्स, फेरिंक्स और मुख गुहा (माउथ कैविटी)।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शराब तंबाकू की ही तरह एक कैंसरजन्य पदार्थ (कार्सिनोजेन) है, लेकिन इसके स्वास्थ्य खतरों के बारे में समाज में जागरूकता बेहद कम है।

किशोरों को नशे की गिरफ्त में जाने से रोक सकता है चेतावनी लेबल

शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि शराब की बोतलों पर डरावने चित्रों या स्पष्ट चेतावनियों के साथ “कैंसर का खतरा” लिखा जाए, तो किशोरों में शराब की लत लगने की संभावना घट सकती है।
किशोरावस्था वह संवेदनशील दौर होता है जब लत तेजी से पकड़ लेती है। ऐसे में चेतावनी लेबल एक प्रभावी व्यवहारिक हस्तक्षेप (Behavioral Intervention) हो सकता है – विशेषकर भारत जैसे विकासशील देशों में।

भारत में शराब और कैंसर: भयावह आँकड़े

2012–2022 के बीच भारत में कैंसर मामलों में 36% की वृद्धि दर्ज की गई – 10.1 लाख से बढ़कर 13.8 लाख मामले।

GLOBOCAN 2022 के अनुसार, देश में सालाना 14.1 लाख नए कैंसर केस सामने आए।

शराब सेवन से जुड़ा कैंसर:
शराब 4.7% कैंसर मामलों के लिए जिम्मेदार पाई गई है।
शराब सेवन से होने वाली कुल मौतों की दर 6.6% है – जोकि एक बहुत बड़ी संख्या है।

तंबाकू से हुई मौतें – 10.9%

अंतरराष्ट्रीय चेतावनी: अमेरिका के सर्जन जनरल की सलाह

जनवरी 2025 में अमेरिका के सर्जन जनरल ने भी यह सार्वजनिक सलाह जारी की थी कि शराब सेवन कैंसर के अनेक प्रकारों को जन्म देता है। यह जैविक दृष्टिकोण से भी सिद्ध है और यह प्रभाव स्त्री और पुरुष दोनों पर समान रूप से पड़ता है।

क्या अब सरकार जागेगी?

एम्स के डॉक्टरों की यह सिफारिश स्वास्थ्य नीति में एक बड़ी पहल बन सकती है। अगर सरकार इसे गंभीरता से लेकर शराब की बोतलों पर चेतावनी लेबल अनिवार्य करती है, तो यह एक सकारात्मक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार होगा – ठीक उसी तरह जैसे तंबाकू के खिलाफ हुआ।

सरकार यदि युवाओं और समाज को नशे के दुष्परिणामों से बचाना चाहती है, तो शराब की ब्रांडिंग से पहले उसके खतरे उजागर करना जरूरी है। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं, सामाजिक उत्तरदायित्व भी है।


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