
गुरुवार को राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि देश के 25 उच्च न्यायालयों में कुल 2,329 मामले 50 वर्ष से अधिक पुराने हैं। इनमें से कलकत्ता हाईकोर्ट अकेले शीर्ष पर है। यहाँ का सबसे पुराना मामला 1951 से लंबित है, यानी 74 साल बीत चुके हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, 40-50 वर्ष से 22,829, 30-40 वर्ष से 63,239, 20-30 वर्ष से 3.4 लाख और 10-20 वर्ष से 11.5 लाख मामले उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। 10 वर्ष से अधिक पुराने मामलों की कुल संख्या 15.77 लाख है।
मेघवाल ने कहा कि लंबे समय से मामलों के लंबित रहने के पीछे कई कारण हैं—जैसे जटिल तथ्य, साक्ष्यों की प्रकृति, गवाहों और वादियों का सहयोग, अवसंरचना की कमी और मामलों की निगरानी-ट्रैकिंग की प्रणाली में खामियां। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लंबित मामलों का न्यायाधीशों की रिक्तियों से सीधा संबंध नहीं है, हालांकि वर्तमान में 344 पद खाली हैं।
सरकार ने 2011 में न्याय वितरण और कानूनी सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया था, और 5 वर्ष से पुराने मामलों के निपटान के लिए सभी उच्च न्यायालयों व ज़िला अदालतों में विशेष समितियाँ गठित की गई हैं।