बिना पर्ची और आईडी कार्ड के 2000 रुपये के बैंक नोटों को बदलने की अनुमति देने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. दरसअल दिल्ली हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने शीर्ष कोर्ट का रुख किया.
याचिका में क्या दी गयी दलील
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि बड़ी मात्रा में ये नोट या तो किसी व्यक्ति की तिजोरी में पहुंच गए हैं, या अलगाववादियों, आतंकवादियों, माओवादियों, ड्रग तस्करों, खनन माफियाओं और भ्रष्ट लोगों के पास हैं. याचिका में कहा गया कि उक्त अधिसूचना मनमानी, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को बिना पर्ची भरे और पहचान पत्र के बिना 2,000 रुपये के नोट बदलने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. चीफ जस्टिस सतीश कुमार शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस याचिका को खारिज किया. आरबीआई ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा कि यह नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक वैधानिक कार्रवाई है.
2000 के नोट बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय
मालूम हो आरबीआई ने 19 मई को 2000 के नोट को चलन से बाहर किये जाने की घोषणा की थी. हालांकि आरबीआई ने लोगों को इसे बैकों में बदलवाने के लिए 23 मई से 30 सितंबर तक का समय भी दिया है. आरबीआई ने यह भी कहा था कि अगर 30 सितंबर के बाद भी किसी के पास 2000 के नोट रह जाते हैं, तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. आरबीआई ने सभी बैकों को यह निर्देश भी दिया था कि 2000 के नोट बदलवाने आये लोगों से न तो काई आईडी कार्ड की डिमांड की जाए और न ही इसके लिए कोई पर्ची फॉर्म भरवाया जाए.