Health Risks of Plastic Bottles: आज के जमाने में अधिकतर लोग प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीते हुए देखे जा सकते हैं. बस, ट्रेन से लेकर एयरोप्लेन तक लोग सफर करने के दौरान प्लास्टिक की बोतलों का जमकर इस्तेमाल करते हैं. कई लोग तो पानी पीने के लिए घरों में भी प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल करने लगे हैं. अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो सावधान होने की जरूरत है. इससे आपकी सेहत को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. यह खुलासा एक नई रिसर्च में हुआ है. इसमें कई ऐसी बातें सामने आई हैं, जिन्हें जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक हालिया स्टडी में पता चला है कि प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने से लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल करते समय प्लास्टिक के बेहद छोटे-छोटे कण कई कारणों से पानी में मिल जाते हैं. इन बेहद छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. जब ये कण शरीर के अंदर पहुंचते हैं, तो वहां से ब्लडस्ट्रीम में घुस जाते हैं. खून में लंबे समय तक प्लास्टिक के कण रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है और इससे लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग लंबे समय से प्लास्टिक की बोलतों से पानी पी रहे हैं, उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो सकता है. प्लास्टिक की बोतलों के बजाया लोगों को इसके विकल्प ढूंढने चाहिए, ताकि माइक्रोप्लास्टिक के खतरनाक असर से बचा जा सके. माइक्रोप्लास्टिक्स प्लास्टिक के बेहद छोटे कण होते हैं, जो हमारे अधिकतर फूड्स और वॉटर सप्लाई में पाए जाते हैं. अनजाने में निगले जाने पर प्लास्टिक के ये कण आंतों और फेफड़ों में सेल्स बैरियर्स को तोड़ सकते हैं और ब्लडस्ट्रीम व शरीर के अन्य टिश्यूज में जा सकते हैं. इससे सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है.
यह स्टडी यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया की डेन्यूब प्राइवेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में पाया गया कि जब स्टडी में शामिल लोगों ने प्लास्टिक और कांच की बोतलों से पानी व अन्य फ्लूड्स का सेवन बंद कर दिया और दो सप्ताह तक केवल नल का पानी पिया, इससे उनके ब्लड प्रेशर में काफी कमी देखने को मिली. पहली बार किसी स्टडी में यह देखा गया है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है. शोध करने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि शायद ऐसा ब्लडस्ट्रीम में प्लास्टिक कणों की मात्रा कम होने के कारण होता है.