रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ी गई महिला सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी सहायिका पद दिलाने मांगे थे ₹1.80 लाख

लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने शिवपुरी जिले में की कार्रवाई

शिवपुरी, मध्यप्रदेश। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मुहिम के तहत महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर अनीता श्रीवास्तव को लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई सोमवार, 5 अगस्त को जिले के नरवर क्षेत्र में की गई।


1.80 लाख की रिश्वत की थी मांग, एडवांस में मांगे थे ₹20,000

वीरपुर गांव निवासी शिशुपाल जाटव ने अपनी बहन को आंगनबाड़ी सहायिका पद पर नियुक्ति दिलाने के प्रयास में विभागीय सुपरवाइजर से संपर्क किया था।
सुपरवाइजर अनीता श्रीवास्तव ने नियुक्ति के एवज में ₹1,80,000 की रिश्वत की मांग की और एडवांस रूप में ₹20,000 तत्काल लाने को कहा।


शिकायत और जाल बिछाने की कार्यवाही

30 जुलाई 2025: पीड़ित शिशुपाल ने ग्वालियर लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।

5 अगस्त 2025: लोकायुक्त टीम ने जाँच के बाद शिकायत को सत्य पाया।

आवेदक को रासायनिक पाउडर लगे ₹20,000 के नोट देकर आरोपी अधिकारी के पास भेजा गया।

अनीता श्रीवास्तव ने अपने कार्यालय, नरवर में रिश्वत की राशि स्वीकार की।


रंगेहाथों गिरफ्तारी और आगे की जांच

रिश्वत लेते ही सादे कपड़ों में मौजूद लोकायुक्त टीम ने सुपरवाइजर अनीता श्रीवास्तव को मौके पर पकड़ लिया।
लोकायुक्त निरीक्षक बलराम सिंह राजावत ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर आगे की जांच जारी है। उन्होंने कहा:

> “अगर इस मामले में अन्य किसी अधिकारी की भूमिका सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।”

प्रशासन पर उठते सवाल, कब सुधरेंगे हालात?

इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार की जड़ें基层 प्रशासन तक फैली हुई हैं, खासकर उन विभागों में जो महिलाओं और बच्चों से संबंधित कल्याण योजनाएं संचालित करते हैं।
हर दूसरे-तीसरे दिन लोकायुक्त द्वारा की जा रही कार्रवाई के बावजूद, रिश्वतखोरी पर लगाम लगाना कठिन होता जा रहा है।


जनता की भूमिका और साहस

इस मामले में आवेदक शिशुपाल जाटव का साहस उल्लेखनीय है, जिन्होंने रिश्वत की मांग को चुपचाप सहने के बजाय लोकायुक्त को सूचना दी और सहयोग किया।
ऐसे नागरिकों के प्रयास ही प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में आशा की किरण हैं।


महिला और बाल कल्याण जैसी संवेदनशील योजनाओं से जुड़े पदों की खरीद-फरोख्त सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक अपराध है। लोकायुक्त की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इससे परे एक सांस्थानिक सुधार की ज़रूरत भी शिद्दत से महसूस की जा रही है।

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