सीएम शिवराज सिंह चौहान
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बताया जा रहा है कि भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में नामों को लेकर अंतिम फैसला होगा। उससे पहले मेल-मुलाकातों का दौर चल रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव जीतने के पहले ग्वालियर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने न तो दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से। वहीं, अन्य सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। मंत्रियों के साथ-साथ राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी दिल्ली दरबार में हाजरी लगाई और बड़े नेताओं से मुलाकात की। शिवराज ने दिल्ली दौड़ लगाने के बजाय खुद को मध्य प्रदेश में ही सीमित रखा है। इस समय शिवराज के साथ-साथ विजयवर्गीय, तोमर, प्रहलाद पटेल के साथ-साथ वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता सीएम पद के दावेदार हैं।
केंद्रीय मंत्री बनाए जा सकते हैं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावों के तत्काल बाद कहा कि यह वक्त दिल्ली नहीं छिंदवाड़ा जाने का है। फिर उन्होंने बार-बार कहा कि 2019 में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीती थी। छिंदवाड़ा सीट छूट गई थी। मैं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश की 29वीं सीट का तोहफा देना चाहता हूं। इसके लिए उन्होंने मिशन छिंदवाड़ा का आगाज भी किया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत करने के लिए छिंदवाड़ा सीट का तोहफा उन्हें देना चाहते हैं। विधानसभा चुनावों में छिंदवाड़ा की सातों सीटों पर कांग्रेस के विधायक बने और भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
सीएम की रेस में बने हुए हैं
पार्टी के दिग्गज नेताओं के सीएम की रेस में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बयान जारी कर कहा कि वह मुख्यमंत्री के दावेदार न पहले कभी थे और ना आज हैं। वह पार्टी के कार्यकर्ता है। हालांकि वह मुख्यमंत्री की रेस से खुद बाहर नहीं हुए। इमोशनली दबाव बनाने वाले बयान देकर रेस में बने हुए हैं। विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद से लगातार लाडली बहना योजना चर्चा में बनी रहे इसको लेकर कुछ ना कुछ कर रहे हैं।
आगे क्या हो सकता हैं
यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पांचवी बार ताजपोशी नहीं होती है तो उनके भविष्य को लेकर भी चर्चाएं तेज हो रही है। यदि पार्टी किसी नए चेहरे को जिम्मेदारी देती है तो शिवराज सिंह चौहान को संगठन में कोई बड़ा पद या मंत्रालय में कोई बड़ा मंत्रालय दिया जा सकता है। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने पर शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय सदस्यता अभियान समिति की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन शिवराज ने प्रदेश में काम करने की इच्छा जताई थी। ऐसे में दूसरा विकल्प शिवराज लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए प्रदेश में काम करते रहेंगे।