विदिशा से जीते शिवराज सिंह चौहान
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इतिहास रच दिया है। लोकसभा चुनावों के इतिहास की सबसे बड़ी दो जीत इस बार मध्य प्रदेश में हुई है। इंदौर में भाजपा के शंकर लालवानी की 11,75,092 लाख वोटों से जीत हासिल की तो वहीं विदिशा में शिवराज ने 8,20,868 वोटों से जीत हासिल की। शिवराज की जीत लोकसभा चुनावों के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी मार्जिन वाली जीत है।
भाजपा ने जिस दिन शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उम्मीदवार घोषित किया, तब से ही राजनीतिक पंडित और स्थानीय लोग उन्हें सांसद के तौर पर देख रहे थे। विदिशा से पांच बार के सांसद और विदिशा लोकसभा सीट अंतर्गत आने वाली बुधनी विधानसभा सीट से छह बार के विधायक विधायक शिवराज सिंह चौहान के लिए यह सीट आसान ही मानी जा रही थी। 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद वे करीब दो दशक बाद विदिशा संसदीय सीट पर लौटे थे। इस नाते जनता ने भी उनका स्वागत धमाकेदार अंदाज में किया और इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी जीत उनकी झोली में डाली। विदिशा सीट पर शिवराज सिंह चौहान को 11,16,460 वोट मिले। वहीं, निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप भानू शर्मा को 2,95,052 वोट से संतोष करना पड़ा। इस तरह 8,20,868 वोट से जीत हासिल की है। सीट पर 11 अन्य प्रत्याशियों में सिर्फ बसपा के किशनलाल ही दस हजार से अधिक वोट हासिल कर सके।
कांग्रेस का ब्राह्मणों को साधने का दांव फेल
कांग्रेस ने विदिशा-रायसेन सीट से चौहान का मुकाबला करने के लिए पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा को उतारा था। कांग्रेस की रणनीति थी कि शर्मा के नाम पर ब्राह्मण वोटरों को एकजुट किया जा सकता है। हालांकि, शिवराज के लिए मतदाताओं में जाति, धर्म, लिंग का भेद खत्म हो गया था। 8.20 लाख वोट की विशाल जीत इसका प्रतीक है।
शिवराज का गढ़ बन गई है विदिशा सीट
विदिशा सीट बेहद खास है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित गोयनका जैसे दिग्गज नेता उम्मीदवार रहे हैं। इस सीट पर 1980 और 1984 में शर्मा जीते थे और इसी वजह से कांग्रेस ने उन पर विश्वास जताया था। इसे छोड़ दें तो यह सीट जनसंघ और भाजपा का गढ़ रही है और यह बात विशाल जीत ने पुष्ट कर दी है। सबसे ज्यादा पांच बार शिवराज सिंह चौहान ही यहां से सांसद रहे हैं और अब छठी बार सांसद चुने गए हैं।