Vidisha Lok sabha: बीजेपी के अभेद्य किले में जीत की बड़ी लकीर खींचने में जुटे हैं शिवराज

विदिशा में शिवराज सिंह चौहान और प्रताप भानु शर्मा के बीच मुकाबला है।

विदिशा संसदीय सीट भाजपा का अभेद्य किला है। यहां चुनावी चर्चाओं में मोदी, राममंदिर से लेकर चंद्रयान और अनुच्छेद-370 तक का बोलबाला है। शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना भी फिर से धूम मचा रही है। यह भाजपा प्रत्याशी व पूर्व सीएम शिवराज का इलाका भी है।

तीन दशक से अधिक समय से शिवराज अपनी राजनीति को यहीं से परवान चढ़ा रहे हैं। कांग्रेस ने उनके विरुद्ध 77 वर्षीय प्रताप भानु शर्मा को उतारा है, जो विदिशा से दो बार सांसद रह चुके हैं। 20 साल बाद शिवराज इस संसदीय सीट से रणभूमि में हैं। तीन दशक से यहां कांग्रेस की हार का क्रम नहीं टूटा है।

रायसेन जिले के सलामतपुर गांव की एक दुकान पर कई बुजुर्ग चुनावी चर्चा कर रहे हैं। 65 साल के बल्लभ अग्रवाल कहते हैं, यहां मामा जीतने के लिए नहीं, नया रिकॉर्ड बनाने के लिए गली-गली घूम रहे हैं। लाडली बहना के नाम पर जीत के बावजूद मामा को सीएम नहीं बनाया गया। इससे उनके प्रति सहानुभूति है। मामा को रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाकर भाजपा नेतृत्व को स्थानीय लोग संदेश देना चाहते हैं कि उनके साथ अच्छा नहीं हुआ। दुकानदार शीतल कहते हैं, ऐसा नहीं है। मोदी ने पांच साल में जिस तरह राम मंदिर बनाया, अनुच्छेद-370 हटाया और चंद्रमा पर चंद्रयान पहुंचाया, उससे विदेश में भी भारत की ताकत बढ़ी है…, पाकिस्तान पस्त हो गया है। इससे जनता खुश है। इन मुद्दों पर भी मतदान होगा। मामा तो अच्छे हैं, लेकिन मोदी ने भी देश की तस्वीर बदली है। जब पूछा कि दस साल में क्या आपकी कोई तस्वीर बदली, वह कहते हैं-मैं संतुष्ट हूं कि हमारा देश बदल रहा है। बचपन में जो सोचते थे, भाजपा ने उसे पूरा कर दिया है। विश्व प्रसिद्ध सांची स्तूप के बाहर नवीन गुप्ता कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप भानु शर्मा का चुनावी पर्चा बांटते मिले। मैंने कुरेदा, यहां तो ज्यादातर भाजपा ही चर्चा में है। इस पर नवीन का जवाब था, पहले शिवराज को ही कौन जानता था? जनता ने मौका दिया, तो सब जानने लगे। प्रताप भानु शर्मा को भी जनता मौका देगी तो ये भी विकास करके दिखाएंगे। पूरे क्षेत्र में ज्यादातर जगह भाजपा के झंडे और पोस्टर ही नजर आते हैं। दीवारों पर भैया शिवराज और मामा शिवराज के नारे हैं। कांग्रेस की चर्चा भी कम हो रही और गिनी-चुनी जगहों पर ही उसके झंडे दिखते हैं।

विधानसभा का हाल

विदिशा संसदीय क्षेत्र में रायसेन, विदिशा, सीहोर और देवास जिले की आठ विधानसभा सीटें हैं। इसमें रायसेन जिले की केवल सिलवानी सीट कांग्रेस के पास है, जबकि भोजपुर व सांची पर भाजपा का कब्जा है। इसके अलावा विदिशा जिले की विदिशा व बासौदा, सीहोर जिले की बुधनी व इच्छावर और देवास जिले की खातेगांव सीट पर भी भाजपा ने ही जीत हासिल की है।

चुनावी इतिहास

1989 से विदिशा में भाजपा की विजय पताका लगातार फहर रही है। 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी निर्वाचित हुए। उनके इस्तीफे के बाद 1991 से 2004 तक पांच बार लगातार शिवराज सांसद चुने गए। शिवराज सीएम बने तो 2006 में उपचुनाव में रामपाल सिंह चुने गए। 2009 व 2014 में सुषमा स्वराज सांसद बनीं। 2019 में भाजपा के ही रमाकांत भार्गव को प्रचंड विजय मिली।

पिछले दो चुनावों का हाल

2019

उम्मीदवार दल मत%
रमाकांत भार्गव भाजपा 68.2
एसआर पटेल कांग्रेस 28

2014

उम्मीदवार दल मत%
सुषमा स्वराज भाजपा 66.5
लक्ष्मण सिंह कांग्रेस 28.3

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

error: Content is protected !!