भारतीय राजनीति में विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों का अपना विशेष महत्व है। यह न केवल देश के विकास और स्थायित्व के लिए आवश्यक है बल्कि यह जनका प्रति राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी का भी प्रमाण होता है। लेकिन जब राजनीति में व्यक्तिगत हमले, अनर्गल आरोप और मिथ्या प्रचार का सिलसिला शुरु हो जाता है, तो यह राजनीति के गिरते स्तर को ही दर्शाता है।
दुर्भाग्य से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिस तौर-तरीके की राजनीतिक करना चाह रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है। यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि स्तर की इस गिरावट पर प्रधानमंत्री की चुप्पी वाचाल वर्ग को प्रोत्साहन दे रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर बीजेपी द्वारा लगाए गए अनर्गल आरोप इसी विकृत मानसिकता का परिचायक हैं। बीजेपी का बार-बार राहुल गांधी के खिलाफ इस प्रकार के आरोप लगाना उनके राजनीतिक भय का भी बड़ा प्रमाण है। चूंकि राहुल गांधी देश हित में सरकार से लगातार सवाल पूछते हैं। गांव, गरीब, मजदूर और किसान की आवाज उठाते हैं। महिला उत्पीड़ने के मामलों को राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री के संरक्षण और प्रोत्साहन से केंद्र सरकार के मंत्री से लेकर अलग-अलग राज्यों के विधायक तक गैरजरूरी आरोप लगाते रहते हैं।