उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की वादियों में इन दिनों गिद्धों की गूंज सुनाई दे रही है। मंगलवार को यहां ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना के दौरान कुल 246 गिद्धों की मौजूदगी दर्ज की गई, जो जैव विविधता के लिहाज से बेहद सकारात्मक खबर है। साथ ही कुल 124 गिद्धों के घोंसलों की पहचान भी हुई, जो यह दर्शाता है कि यह इलाका गिद्धों के सुरक्षित और अनुकूल आवास के रूप में विकसित हो रहा है।
गणना के दौरान चार से अधिक गिद्ध प्रजातियों की पहचान की गई, जिनमें देशी गिद्ध, सफेद गिद्ध, सफेद पीठ गिद्ध, राज गिद्ध और चमर गिद्ध प्रमुख हैं। यह विविधता दर्शाती है कि बांधवगढ़ न केवल बाघों के लिए बल्कि संकटग्रस्त पक्षियों के लिए भी एक मजबूत शरण स्थली बनता जा रहा है। क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय ने बताया कि इस बार की गणना में वयस्क और अवयस्क दोनों तरह के गिद्ध देखे गए हैं, जो उनकी जनसंख्या में प्राकृतिक वृद्धि का संकेत है। यह संकेत करता है कि यहां की पारिस्थितिकीय व्यवस्था गिद्धों के प्रजनन और जीवन चक्र के लिए उपयुक्त है।
गणना का मुख्य उद्देश्य गिद्धों की संख्या में मौसमी बदलाव को समझना था, ताकि यह जाना जा सके कि तापमान, वर्षा या अन्य मौसमी कारक इनके जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं डाल रहे। खासकर गर्मी के मौसम में गिद्धों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि उनके लिए जल स्रोत, भोजन और घोंसले बनाने के लिए सुरक्षित स्थान पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
ज्ञात हो कि गिद्धों की आबादी में विगत वर्षों में भारी गिरावट देखी गई थी, जिसका मुख्य कारण डाइक्लोफेनेक जैसी औषधियों का उपयोग था। ऐसे में बांधवगढ़ में इनकी संख्या में यह वृद्धि संरक्षण प्रयासों की सफलता का परिचायक है। बांधवगढ़ की यह गिद्ध गणना न केवल वैज्ञानिकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए उत्साहजनक है, बल्कि जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणास्पद कदम भी मानी जा रही है।