ऑटो चालक राकेश ने खुद को बताया मददगार
नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म मामले में मुख्य आरोपी भरत सोनी सात दिनों के ज्यूडिशल रिमांड पर है, जिसका इलाज अभी इंदौर के अस्पताल में चल रहा है। अब इस मामले में ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय ने आपबीती बताई है। जिनका कहना है कि वह खुद पीड़िता का मददगार है, उसने बच्ची को मदद देने के लिए उसे अपने ऑटो में बैठाया था। बच्ची उसे हाटकेश्वर और जीवनखेड़ी गांव के बीच में सड़क के किनारे पैदल चलती हुई दिखाई दी थी। इस दौरान बच्ची के कपड़े फटे हुए थे और वह खूब रो रही थी। मैंने उसे देखकर ऑटो में बैठाया और आगे छोड़ दिया। उसके कपड़े फटे थे इसलिए मैंने उसे अपनी खाकी शर्ट दे दी थी। मुझे लगा वह यही आसपास की रहने वाली होगी तो चली जाएगी। वह घबराई हुई थी और कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। इशारे से बताने की कोशिश कर रही थी कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। अब मुझे बहुत पछ्तावा हो रहा है कि उस समय मैंने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी।
26 सितंबर को पुलिस हिरासत में आ गया था राकेश
संदिग्ध ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय शहर में ही अपनी बुआ के साथ रहता है। उसकी पत्नी की मौत हो चुकी है। राकेश मालवीय को पुलिस ने घटना के दूसरे दिन यानी 26 सितंबर की शाम उसे 7:00 बजे पुलिस ने हिरासत में लिया था। पुलिस ने राकेश मालवीय के खिलाफ धारा 176 के तहत कार्रवाई की थी।
पुलिस बोली- छूट नहीं पाएगा भरत
मुख्य आरोपी भरत सोनी फिलहाल इंदौर के अस्पताल में है। वह भागने की कोशिश के दौरान घायल हो गया था। न्यायालय के आदेश पर उसकी चोट देखकर उसका इलाज इंदौर में किया जा रहा है। महाकाल थाना प्रभारी अजय वर्मा का कहना है कि भरत सोनी के खिलाफ केस इतना मजबूत बनाया जाएगा कि वो किसी भी हाल में छूट नहीं पाएगा।
किसी ने दिए थे कपड़े तो किसी ने दिए थे रुपए
नाबालिक से हुए दुष्कर्म के मामले में भले ही धार्मिक नगरी उज्जैन को बदनाम किया जा रहा हो लेकिन सच्चाई यह है कि पीड़िता की सहायता के लिए लगभग आधा दर्जन लोग सामने आए थे। जिन्होंने न सिर्फ पीड़िता को कपड़े दिए थे बल्कि उसकी रुपए देकर भी मदद करने का प्रयास किया था। पीड़िता के साथ हुआ घटनाक्रम अलसुबह 3:15 से 5 बजे के बीच का था, यही कारण रहा कि पीड़िता की उस प्रकार से मदद भले ही ना हो पाई हो जैसी की होनी चाहिए थी, लेकिन फिर भी इस दौरान शहरवासी पीड़िता की जो भी मदद कर सकते थे वह शहरवासियों ने की। जिस समय पीड़िता पुलिस के सुपुर्द की गई थी तब भी उसके हाथों में लगभग 120 रुपए थे।
इस मामले में उज्जैन एसपी सचिन शर्मा ने बताया कि स्थानीय लोगों ने नाबालिक की आर्थिक मदद की। उन्होंने बताया कि पीड़िता को मदद के लिए जो प्रतिक्रिया देखने को मिली है, वह मिली-जुली है। जिनसे लड़की ने मदद की गुहार लगाई थी, उनमें से कुछ स्थानीय लोगों ने मदद पहुंचाई है। कुछ ने उसे 50 रुपये तो कुछ ने उसे 100 रुपये दिए है। जब वह लड़की टोल बूथ से गुजर रही थी तब वहां के स्टाफ ने उसको पैसे और कुछ कपड़े दिए थे। पीड़िता की कम से कम 7-8 लोगों ने मदद करने का प्रयास किया है, पुलिस की ओर से बताया गया कि जब हम उस लड़की तक पहुंचे तब उसके पास 120 रुपये थे जो कि स्थानीय लोगों द्वारा उसे दिए गए थे।