
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में दो युवक सरकारी विभाग में वाहन अटैच कराने के नाम पर एग्रीमेंट बनवाकर किराए पर कार लेते थे। भरोसा जीतने के लिए एक दो-माह तक तय समय पर पेमेंट करते थे। बस इतना सा काम करके लग्जरी लाइफ जीते थे। उज्जैन थाने की पुलिस जब पीछा करते-करते इन युवकों तक पहुंची, तो कमाई का नायाब तरीका जानकर हैरान रह गई।
उज्जैन में कार मालिकों को बड़ा झांसा देकर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। सरकारी विभागों में वाहन अटैच करने का लालच देकर आरोपी ने 40 से अधिक कारों को औने-पौने दाम में बेच दिया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 21 कारों को जब्त कर लिया है। मामला नानाखेड़ा थाना क्षेत्र का है. आरोपी जगदीश परमार ने एक कंपनी बनाकर लोगों को सरकारी विभागों में कारें अटैच करने का झांसा दिया।आरोपी ने खुद को एक कंपनी का प्रोप्रायटर बताकर 40 से ज्यादा कार मालिकों को भरोसे में लिया।
आरोपी ने शुरू में कुछ महीनों तक 25 से 30 हजार रुपये मासिक किराए के रूप में भुगतान भी किया लेकिन बाद में पैसे देना बंद कर दिया।जब कार मालिकों को संदेह हुआ और वे शिकायत लेकर पहुंचे, तब इस ठगी का खुलासा हुआ। शिकायत मिलने के बाद उज्जैन पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और गुरुवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि जगदीश परमार ने कारों को शासकीय विभागों में लगाने का झांसा देकर धोखाधड़ी की। उसने फर्जी कागजात के जरिए कई कारों को देवास, शाजापुर, आगर सहित अन्य शहरों में गिरवी रख दिया, जबकि कुछ गाड़ियां बेच दीं।
एसपी ने बताया कि आरोपी ने लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये में कारों को गिरवी रखकर मोटी रकम जुटाई। हमने 21 कारें बरामद कर ली हैं। आरोपी से पूछताछ जारी है। इसके साथ ही जिन लोगों ने ये गाड़ियां खरीदी थीं, उनकी भी जांच की जा रही है। आरोपी जगदीश परमार पर पहले से भी धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। पुलिस अब उसके अन्य साथियों की भी तलाश कर रही है।