इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। पंचामृत पूजन के बाद बाबा महाकाल का मोर पंख से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया। भक्तों ने बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकर दर्शन किए। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।
अब ठंडे जल से होगा बाबा महाकाल का स्नान
ऐसा माना जाता है कि चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गर्मी की शुरुआत हो जाती है। इसी परंपरा के अनुसार, श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी इसी दिन से बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान करवाया जाता है। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को गर्म व ठंडे जल से स्नान कराने की परंपरा वर्ष में दो बार बदली जाती है। इस वर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 15 मार्च से बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा। साथ ही, मंदिर में प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में भी बदलाव होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि 15 मार्च से परंपरानुसार ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर भगवान की आरतियों के समय में बदलाव होगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक आरतियों के समय बदला रहेगा।
कब होगी कौन सी आरती?
- प्रथम भस्म आरती– सुबह 04:00 से 06:00 बजे तक
- द्वितीय दध्योदक आरती– प्रातः 07:00 से 07:45 बजे तक
- तृतीय भोग आरती– सुबह 10:00 से 10:45 बजे तक
- चतुर्थ संध्या पूजन– शाम 05:00 से 05:45 बजे तक
- पंचम संध्या आरती– शाम 07:00 से 07:45 बजे तक
- शयन आरती – रात 10:30 से 11:00 बजे तक