Ujjain Mahakal: भांग से हुआ बाबा महाकाल का आलौकिक शृंगार, भस्म आरती में चारों ओर गूंजा ‘जय श्री महाकाल

Ujjain Mahakal: Baba Mahakal's supernatural makeup was done with cannabis

उज्जैन बाबा महाकाल।

धार्मिक नगरी उज्जैन में बाबा महाकाल का ऐसा मंदिर है जो कि 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से भगवान शिव की पूजा और दर्शनों के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान महाकाल प्रतिदिन भस्म से शृंगार करते हैं। ऐसी मान्यता है कि उनके दर्शनों से प्रत्येक श्रद्धालुओं का जीवन-मृत्यु का चक्र खत्म हो जाता है और वह अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्त हो जाता है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल भस्म आरती के दौरान शुक्रवार सुबह 4 बजे बाबा महाकाल का भांग से आलौकिक स्वरूप में शृंगार किया गया। भस्म आरती में चारों ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हुई। जिसने भी इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया वह देखते ही रह गया।

कीजिए बाबा महाकाल के भस्म आरती दर्शन, जिससे अकाल मृत्यु के भय से मिलती हैं मुक्ति

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि पौष माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि शुक्रवार पर आज बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। उसके बाद सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। आज बाबा महाकाल का आभूषण से आलौकिक शृंगार किया गया। जिसके बाद फिर पूजन अर्चन के बाद बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म रमाई गई। भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का ऐसा शृंगार देख सभी अभिभूत हो गए। बाबा महाकाल के इस आलौकिक स्वरूप को सभी ने निहारा। श्रद्धालुओं ने इस दौरान बाबा महाकाल के निराकार से साकार होने के स्वरूप का दर्शन कर जय श्री महाकाल का उद्घोष भी किया।

कीजिए बाबा महाकाल के भस्म आरती दर्शन, जिससे अकाल मृत्यु के भय से मिलती हैं मुक्ति

कीजिए बाबा महाकाल के भस्म आरती दर्शन, जिससे अकाल मृत्यु के भय से मिलती हैं मुक्ति

रजत मुकुट दान दिया

श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्री महाकालेश्वर भगवान को महाराष्ट्र के सांगली से पधारे सम्पत राव माने द्वारा एक नग चांदी का मुकुट भेंट किया। जिसका वजन 1344.00 ग्राम है। पूजन पुरोहित सुभाष शर्मा द्वारा सम्पन्न करवाया गया। जिसे श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा प्राप्त पर दानदाता का सम्मान किया जाकर विधिवत रसीद प्रदान की गई। यह जानकारी मंदिर प्रबंध समिति की कोठार शाखा द्वारा दी गई।

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