भाजपा के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं। साथ ही भाजपा के पहले उम्मीदवार भी बन गए हैं। दलाल समेत 1951 से अब तक बिना किसी चुनावी लड़ाई के संसदीय चुनाव जीतने वालों की संख्या करब 35 हो गई है।
लोकसभा चुनाव के चार जून को नतीजे घोषित होने से पहले ही भाजपा का खाता खुल गया है। सूरत से कांग्रेस प्रत्याशी निलेश कुंभानी का परचा रद्द होने और बाकी 8 निर्दलीय उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के बाद भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। दरअसल, कांग्रेस प्रत्याशी के तीन प्रस्तावकों ने चुनाव आयोग से शिकायत कर नामांकन पत्र में जाली हस्ताक्षर के आरोप लगाए थे। यहां सात मई को मतदान होना था। सूरत सीट से दस उम्मीदवारों ने नामांकन किया था। भाजपा प्रत्याशी दलाल ने भी प्रस्तावकों के जाली हस्ताक्षर की शिकायत की थी। चुनाव अधिकारी ने कुंभानी को प्रस्तावकों के साथ बुलाया था, पर वह पेश नहीं कर पाए ।
समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव निर्विरोध जीता था। संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल करने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में वाईबी चव्हाण, फारूक अब्दुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद और एससी जमीर शामिल हैं। बिना किसी मुकाबले के लोकसभा पहुंचने वालों में सबसे अधिक कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। सिक्किम और श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में दो बार ऐसे निर्विरोध चुनाव हुए हैं। डिंपल समेत नौ उम्मीदवार उपचुनाव में निर्विरोध जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। 1957 में आम चुनाव में अधिकतम सात उम्मीदवार निर्विरोध जीते, उसके बाद 1951 और 1967 के चुनावों में पांच-पांच निर्विरोध जीते। जबकि 1962 में तीन और 1977 में दो उम्मीदवार निर्विरोध जीते, 1971, 1980 और 1989 में एक-एक उम्मीदवार ने निर्विरोध चुनाव जीता।
लोकसभा : 1951 से अब तक 35 उम्मीदवार चुने गए निर्विरोध
भाजपा के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं। साथ ही भाजपा के पहले उम्मीदवार भी बन गए हैं। दलाल समेत 1951 से अब तक बिना किसी चुनावी लड़ाई के संसदीय चुनाव जीतने वालों की संख्या करब 35 हो गई है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों में 10 भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे।