केसर व वेनिला के बाद हरी इलायची दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. गर्व की बात यह है कि इसकी उत्पत्ति का केंद्र भारत ही है. भारतीय किचन में तो इसकी सम्मानजनक मौजूदगी तो है ही साथ ही देश के सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों में भी इलायची का उपयोग हजारों वर्षों से हो रहा है. ‘औषधीय पौधे’ नामक पुस्तक के लेखक व बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) के निदेशक रहे डॉ. सुधांशु कुमार जैन के अनुसार इलायची औषधी भी है. यानी इलायची मनुष्य जीवन के शारीरिक व आत्मिक सिस्टम से भी जुड़ी हुई है. तभी तो मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spices And Condiments’ में हरी इलायची को ‘मसालों की रानी’ कहा है.
हरी इलायची के 4 बड़े फायदे
1. जानी मानी डायटिशियन अनीता लांबा के अनुसार हरी इलायची में बड़ा गुण है कि यह एंटिसेप्टिक है और शरीर को इन्फेक्शन से भी बचाती है. अगर आप मुंह और सांसों की दुर्गंध से परेशान हैं तो इलायची लाभकारी है. यह मसूड़ों की बीमारी और कैविटी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से भी लड़ने में कामयाब है. यह बैक्टिरिया व फंगल को रोकने में कारगर है. असल में यह फाइटोकेमिकल्स (कीटाणुओं, फंगस से बचाव वाला तत्व) से भरपूर मानी जाती है, इसलिए दांत व मसूड़ों के इन्फेक्शन संक्रमण, गले की समस्याओं में लाभकारी लायची एक शक्तिशाली एंटीसेप्टिक, रोगाणुरोधी है जो सांसों की दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने में भूमिका अदा करती है.
2. इलायची में विटामिन, खनिज, के अलावा पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनोइड्स (विशेष प्रतिरोधक योगिक) भी पाए जाते हैं जो डाइजेशन सिस्टम को दुरुस्त रखने में कारगर हैं. ये योगिक पेट के ऊपरी हिस्से में एसिडिटी के लक्षणों से राहत देते हुए डाइजेशन सिस्टम में सुधार करते हैं. रिसर्च बताते हैं कि इलायची का सेवन मतली, उल्टी और बेचैनी से राहत देता है. यह सारी समस्याएं तभी आती हैं, जब डाइजेशन सिस्टम गड़बड़ होता है. असल में इलायची लिवर को भी विषाक्तमुक्त करती है, जो पाचन सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है. ऐसा भी माना जाता है कि इलायची के चबाने से निकलने वाला अर्क पेट के अल्सर से बचाव करता है. इलायची में एक घटक मेथनॉलिक (प्रतिरोधी) भी होता है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं जैसे अम्लता, पेट फूलना, अपच और पेट दर्द को कम करने में मदद करती है.
3. इलायची में एक बेहद शानदार गुण है कि यह मूड को फ्रेश करती है और डिप्रेशन को रोकती है. अगर डिप्रेशन की आशंका से घबराए हुए हैं तो इलायची खाएं. ऐसा लगेगा कि दिमाग हलका हो रहा है. इसको चबाने के बाद मुंह में जो खुशबू निकलती है, वह सीधे दिमाग पर ट्रिगकर करती है और उसे कूल रखने में मदद करती है. इलायची में विटामिन सी और थायमिन (नर्वस सिस्टम में कारगर तत्व) की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, जिसे न्यूरो-डेवलपमेंट और दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक माना जाता है. थियामिन दिमाग में पॉजिटिविटी भी पैदा करता है. इसमें दिमाग को प्रफुल्लित करने वाले गुण भी पाए जाते हैं. सीधी सी बात है कि इलायची की सुगंधित शक्ति डिप्रेशन में घिरे बंदे को ठीक कर सकती है और मानसिक तनाव से निपटने और उससे लड़ने में मदद कर सकती है. चाय में इलायची का सेवन करेंगे तो आप पाएंगे कि दिमाग चुस्त दुरुस्त व फ्रेश महसूस कर रहा है.
4. इलायची का बड़ा गुण है कि यह हार्ट के फंक्शन को स्मूद रखती है, साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखने में मदद करती है. हरी इलायची हार्ट रोगों के जोखिम कारकों को कम करके उसे स्वस्थ रखने में मदद करती है. यह एथेरोस्क्लेरोसिस यानी धमनियों की ब्लॉकेज और थक्कों को रोकती है, जो फेट के कारण पैदा होते हैं. इसका लाभ यह भी होता है कि बेड कोलेस्ट्रॉल पैदा होने के कारण कम हो जाते हैं. यह ट्राइग्लिसराइड्स (हार्ट को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व) की भी रोकथाम करती है. हरी इलायची अपने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गतिविधियों के माध्यम से बीपी को कम करने की क्षमता रखती है. माना जाता है कि इलायची की चाय का सेवन हाई बीपी को कम करता है. इलायची का नियमित सेवन मधुमेह के खिलाफ भी प्रभावी माना जाता है. इसमें मौजूद विशेष योगिक सूजन और कई पुरानी बीमारियों का ‘दुख’ कम करने में भी प्रभावी माने जाते हैं. श्रीलंका एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट बोर्ड के अनुसार इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण बढ़ रहे हैं कि हरी इलायची के एंटीऑक्सिडेंट, रोगाणुरोधी, सूजन-रोधी और कैंसर-रोधी गुण शरीर के लिए लाभकारी हैं.
हरी इलायची का इतिहास और सफर
अदरक परिवार की हरी इलायची परफ्यूम व सुगंधित तेलों को बनाने में भी काम आती है. फूड हिस्टोरियन्स का कहना है कि हरी इलायची का उत्पत्ति स्थल दक्षिण भारत है. इसका उपयोग करीब 4 हजार वर्ष से किया जा रहा है. प्राचीन भारतीय ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में इसके गुणों का वर्णन किया गया है. भारतीय इलायची के औषधीय गुणों का उल्लेख यूनानी विद्वान व आधुनिक चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स (ईसा पूर्व 460 शती) के लेखन में भी मिलता है. उन्होंने इलायची को पाचन के लिए कारगर बताया है. विश्वकोष Britanica के अनुसार अब ज्यादातर इलायची की खेती भारत, श्रीलंका और ग्वाटेमाला में की जाती है. हरी इलायची भारत से चलकर अरब के रास्ते रोमन और यूनान तक पहुंची थी. पूरी दुनिया में भारत की इलायची की खासी मांग रहती है.