दीवाली के त्योहार की तैयारी आपने भी लगभग कर ही ली होगी। दीवाली मतलब घर के हर कोने की सफाई और आंगन में एक जगमगाते दीये। दीये जो हमें एहसास कराए कि दीवाली का त्योहार अंधेरे पर रोशनी की विजय का त्योहार है। लेकिन, अक्सर दीवाली के दीये कुछ मिनट बाद ही तेल खत्म होने की वजह से बुझ जाते हैं। अब ऐसे में जरा सोचिए कि दीवाली पर आपको एक दीया मिल जाए, जो पूरे 24 घंटे तक जलता रहे तो कैसा रहेगा। छत्तीसगढ़ के एक कुम्हार ने कुछ ऐसा ही करिश्मा कर डाला है।
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में रहने वाले अशोक चक्रधारी ने एक अनोखा दीया बनाया है। यह दीया मिट्टी से बना है और अपने आप तेल खींचता है। अशोक की अनोखी तकनीक की वजह से यह दीया 24 से 40 घंटे तक जलता रहता है। अशोक को अपने अनोखे और बेजोड़ मिट्टी के काम के लिए टेक्सटाइल मंत्रालय से राष्ट्रीय मेरिट प्रमाण पत्र भी मिला है।
जादुई दीये की हर तरफ से डिमांड
अशोक ने अपने गांव में ‘झींटको-मिट्टी’ नाम से एक आर्ट सेंटर बनाया है, जहां वो अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। उनके बनाये हुए दीयों की देश-विदेश में काफी तारीफ हो रही है। लोग इन्हें ‘जादुई दीया’ बता रहे हैं। अशोक के दीयों की मांग इतनी है कि वो सबके ऑर्डर पूरे नहीं कर पा रहे हैं। अभी तक वह करीब 100 दीये ही बना पाए हैं।
अशोक बताते हैं कि उन्हें इस बात की तो खुशी है कि लोग उनकी इस कला को खूब पसंद कर रहे हैं, लेकिन सभी की डिमांड पूरी ना करने का दुख भी है। उनका कहना है कि ये दीये सिर्फ कलाकृति नहीं हैं, बल्कि उनके काम में एक गहरी सोच और भावना भी है। अशोक अपनी इस कला से लोगों के जीवन में रौशनी फैलाना चाहते हैं।
यूट्यूब पर वीडियो देखकर किया तैयार
अशोक के दीयों की सबसे बड़ी खासियत उनका अपने आप तेल खींचने का तरीका है। यह एक अनोखी तकनीक है जो दीये को लंबे समय तक जलाए रखती है। अशोक बताते हैं कि उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो देखने के बाद इस दीये को तैयार किया। उनकी हमेशा से कोशिश रही कि उनके काम में कुछ ना कुछ नया होता रहे, ताकि ये कला लोगों को अपनी तरफ खींचे।
कई वीडियो देखने के बाद अशोक ने तीन अलग-अलग हिस्से बनाए। पहला था दीया, दूसरा एक गुंबद जैसा हिस्सा जो तेल को रखने के लिए एक जलाशय का काम करती है, और तीसरा एक ट्यूब जैसा डिजाइन जो जलाशय को दीये से जोड़ती है। ट्यूब खुले सिरे वाली होती है और दीये के चौड़े आधार में फिट हो जाती है। ट्यूब में एक छोटा सा छेद होता है। इसके पिछले हिस्से में एक हैंडल भी लगा होता है।
कई कोशिशों के बाद मिली सफलता
गुंबद के आकार के जलाशय में एक टोंटी के खुलने से तेल दीये में जाता है। इस डिजाइन को पूरी तरह से परफेक्ट बनाने में उन्हें कई बार कोशिश करनी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। शुरुआत में गुंबद बहुत भारी हो जाता था और दीया गिर जाता था, लेकिन कई प्रयासों के बाद एक ऐसा दीया बन गया, जैसा अशोक बनाना चाहते थे।
अशोक बताते हैं कि दीये के जलते रहने की सटीक समय सीमा सुनिश्चित नहीं है, लेकिन गुंबद में इतना तेल आ सकता है कि दीया लगातार 24 घंटे तक जलता रहे। एक बार पूरी तरह से जलने के बाद केवल दीये की बाती को बदलने की जरूरत होती है। दीवाली के अलावा दुर्गा पूजा पर भी उनके बनाए दीयों की काफी डिमांड रहती है।