दस साल पहले ही बुढ़ापा दे दिया सरकार ने!

ऑपरेटर की एक टाइपिंग गलती ने महिला कर्मचारी की ज़िंदगी उलट-पुलट कर दी

“सरकारी कंप्यूटर: उम्र बढ़ाने की एक मात्र भरोसेमंद मशीन”



इंदौर। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में ऐसी जादुई ताक़त है कि वह किसी को समय से पहले ही बूढ़ा बना सकती हैं। ताज़ा उदाहरण ललिता यादव हैं, जिन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर ने मात्र एक बटन दबाकर दस साल पहले ही “सेवानिवृत्त” कर दिया।

दरअसल हुआ यह कि जन्मवर्ष 1973 को ऑपरेटर महोदय ने सरकारी स्टाइल में 1963 बना डाला। बस फिर क्या था, विभाग ने भी मान लिया कि ललिता अब सेवा योग्य नहीं रहीं और उन्हें सम्मानपूर्वक घर बैठा दिया। अफ़सोस की बात यह रही कि सम्मान तो मिला नहीं, बल्कि वेतन भी रोक दिया गया और ललिता रोज़ाना ऑफिस आकर केवल फाइलों को ताकती रह गईं।

चार-पाँच महीने तक वेतन बंद रहा, घर की रसोई ठंडी पड़ी रही, लेकिन विभाग की कंप्यूटर स्क्रीन पर सबकुछ “अपडेटेड” चलता रहा। बिचारी ललिता कभी अधिकारियों के चक्कर लगातीं, कभी चाय-पानी पिलाकर गुहार लगातीं। लेकिन फाइलें और कंप्यूटर स्क्रीन किसी की सुनती कहाँ हैं?

आख़िरकार जब मीडिया ने खबर को प्रमुखता से छापा तो विभाग की नींद खुली। अचानक सबको याद आया कि ललिता अब भी जवान हैं और सेवा में बने रहने की हक़दार हैं। आनन-फानन में आदेश निकला, जन्मतिथि सुधारी गई और वेतन बहाल कर दिया गया। अब विभाग कह रहा है — “मानवीय त्रुटि थी, सुधार कर दी गई।”

ललिता ने राहत की साँस ली और मीडिया को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “अगर अख़बार ने खबर नहीं छापी होती, तो शायद मैं रिटायरमेंट की पार्टी भी दस साल पहले ही कर लेती।”

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