
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले ने देशभर के लाखों प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी पर असमंजस खड़ा कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना ही नौकरी में बने रहने और प्रमोशन पाने की अनिवार्य शर्त होगी। वर्षों से स्कूलों में पढ़ा रहे वे शिक्षक, जिनके पास टीईटी पात्रता नहीं है, अब दो साल के भीतर यह परीक्षा पास करेंगे, वरना उन्हें या तो इस्तीफा देना होगा या जबरन रिटायर कर दिया जाएगा।
फैसले से किस पर असर
राजस्थान: करीब 80 हजार थर्ड ग्रेड शिक्षक प्रभावित होंगे।
मध्य प्रदेश: लगभग 3 लाख शिक्षक जद में आएंगे। इनमें 1984–1990 के बीच मिनी पीएससी से भर्ती हुए और बाद में शिक्षाकर्मी कहलाए गए शिक्षक भी शामिल हैं।
झारखंड: 40 हजार प्राथमिक शिक्षकों में केवल 13 हजार ने टीईटी पास किया है। बाकी 27 हजार शिक्षकों को अब परीक्षा देनी होगी। इनमें से लगभग 7 हजार शिक्षक 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं। इसके अलावा, राज्य के 50 हजार पारा टीचर भी प्रभावित होंगे।
कोर्ट का निर्देश
नई नौकरी पाने वाले और प्रमोशन चाहने वाले सभी शिक्षकों को टीईटी पास करना होगा।
जिन शिक्षकों की सेवा 5 साल से कम बची है, वे बिना टीईटी पास किए रिटायर हो सकते हैं, लेकिन प्रमोशन पाने के लिए उन्हें भी परीक्षा देनी होगी।
जिनकी सेवा 5 साल से अधिक बची है, उन्हें दो साल में परीक्षा पास करनी होगी। असफल रहने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
हालांकि, अल्पसंख्यक संस्थानों को फिलहाल इस आदेश से छूट दी गई है। इस पर अंतिम निर्णय 7 जजों वाली बड़ी बेंच करेगी।
सीटीईटी-टीईटी की ओर रुख
फैसले के बाद देशभर में सीटीईटी और राज्य स्तरीय टीईटी के आवेदनों में भारी इजाफा तय है। पहले से सेवा में कार्यरत शिक्षक भी अब अपनी नौकरी बचाने के लिए परीक्षा देंगे। सूत्रों के मुताबिक, सीटीईटी का नया नोटिफिकेशन इसी माह जारी हो सकता है।
यह फैसला लाखों शिक्षकों के भविष्य को सीधे प्रभावित करता है। कई राज्यों में वर्षों से कार्यरत शिक्षक अब परीक्षा की चुनौती से गुजरेंगे। सवाल यह भी है कि जिन शिक्षकों ने दशकों तक अनुभव अर्जित किया है, क्या वे अचानक पात्रता परीक्षा के आधार पर योग्य या अयोग्य ठहराए जा सकते हैं?