नर्मदापुरम: मध्यप्रदेश सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप की चेतावनी के बाद भी नर्मदापुरम के निजी स्कूल संचालक सोमवार से हड़ताल पर चले गए हैं। जिले के 430 में से अधिकांश स्कूल बंद रहे। स्कूल को बंद रखने की जानकारी स्कूल मैनेजमेंट की ओर से पालको को वॉट्सएप के माध्यम से रविवार को दे दी गई थी। स्कूल कब तक बंद रहेंगे यह नही बताया।यह तब है जब इसकी जानकारी मिलने पर शिक्षा मंत्री ने सख्त लहजे में कहा था कि ‘आप नौनिहाल के भविष्य को गढ़ने वाले व्यक्ति हैं अगर नौनिहालों के भविष्य से खिड़वाड़ करेगें ‘ तो इसका परिणाम ठीक नही होगा। इसके बाद भी निजी स्कूलों का इस तरह से हड़ताल पर चले जाने को क्या जायज ठहराया जा सकता हैं? सरकार द्वारा निजी स्कूलों के लिए आरटीई एक्ट लाया गया है जिसमें समस्त निजी स्कूल आते है। फिर क्या यह स्कूल कानून से ऊपर हो गए? अविभावकों ने सालों से निजी स्कूलों का दंश झेला है। सरकार ने थोड़ी सी सख्ती क्या कि निजी स्कूल संचालक सड़क पर आकर आंदोलन करने लगे।
नॉन प्राफिट आर्गनाईजेशन फिर प्राफिट के लिए हल्ला क्यो?
जबकि अधिकतर निजी स्कूल जिस सोसायटी के अंर्तगत रजिस्टर होकर संचालित हो रहे है। वह सब नॉन प्राफिट आर्गेनाईजेशन हैं।जब नॉन प्राफिट आर्गेनाईजेशन में जमकर पैसा कमाया जा रहा है। उसी पर प्रशासन ने जब आपत्ति उठाई तो फिर हड़ताल की क्या आवश्यकता थी। निजी स्कूल तो नॉन प्राफिट आर्गेनाईजेशन हैं। कही ऐसा तो नही कि निजी स्कूलों ने गलत रजिस्ट्रेशन कराकर टेक्स लायबिलिटी के नाम पर सरकार से टेक्स में छूट से ले रहे है और मुनाफा जमकर कमा रहे हो। कही न कही निजी स्कूलों को इसबात की चिंता सता रही है कि सरकार उनके मुनाफे को कम कर रही हैं। जबकि सरकार व प्रशासन की मंशा इसे नियंत्रित करने की हैं। न की इन स्कूलों को अब खुली छूट दी जाए।
विरोध किस बात का कर रहे
निजी स्कूल संचालक विरोध किस बात का कर रहे हैं। यह बात भी समझ से परे नजर आ रही हैं। जब एक्ट हैं तो कानून का पालन सबको करना हैं। फिर कानून के पालन करने में आपत्ति क्यो? अगर किसी स्कूला को गलती से कोई नोटिस जारी भी हो गया हैं। तो उसे अपील का अधिकार है वह अपील कर सकता है। यदि नोटिस सही है तो कानून सबके लिए बराबर है और यदि आपने कानून तोड़ा हैं तो इसका डंड भोगना पड़ेगा। फिर आपको किसा रिकवरी से आपत्ति हैं।
छोटे स्कूलों को उठाना होगा नुकसान
जिले के सभी छोटे बड़े निजी स्कूल हड़ताल पर तो चले गए। लेकिन इसका खामयाजा छोटे स्कूलों ज्यादा उठाना पड़ेगा। शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह की सख्ती के साथ मना करने के बाद भी निजी स्कूल संचालक हड़ताल पर चले गए। क्योकि बड़े स्कूल आर्थिक रूप से सक्षम है किसी भी घाटा को उठाने एवं किसी भी समस्या को मैनेज करने में लेकिन ऐसा नही लगता की छोटे निजी स्कूल शासन या प्रसाशन की किसी भी सख्ती निपट सके। आने वाले समय में छोटे स्कूलों को ही इस हड़ताल का सबसे ज्यादा खामयाजा उठाना पड़ सकता हैं।