
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने किसानों की उपज को समर्थन मूल्य (MSP) से कम दरों पर खरीदे जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन से कड़ा सवाल किया है। न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पूछा कि प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर क्यों खरीदी जा रही है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन और मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
2018 के आदेश की अवहेलना का आरोप
याचिकाकर्ता अन्नदाता किसान संगठन समिति के अध्यक्ष मनोहर श्रीवास्तव की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल खरे ने न्यायालय में पक्ष रखते हुए बताया कि वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर किसानों की उपज की खरीदी नहीं की जा सकती।
साथ ही यह भी निर्देशित किया गया था कि कृषि उपज मंडियों में उपज की नीलामी MSP से कम दर पर शुरू नहीं होगी।
कलेक्टरों के निर्देशों के बावजूद नहीं हुआ पालन
अधिवक्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारत कृषक समाज सहित कई किसान संगठनों ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों और कृषि उपज मंडियों को पत्र लिखकर न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने की मांग की थी।
कुछ जिलों के कलेक्टरों ने मंडियों को स्पष्ट निर्देश भी जारी किए कि MSP से कम दर पर खरीदी न की जाए, इसके बावजूद कई मंडियों में आदेशों की अनदेखी की गई।
इसी वजह से दायर हुई अवमानना याचिका
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जब प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई और मंडियों में लगातार MSP से कम पर खरीदी होती रही, तब मजबूर होकर अवमानना याचिका दायर की गई।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह स्थिति सीधे तौर पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
राज्य शासन को देना होगा जवाब
हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में राज्य शासन और कृषि विपणन बोर्ड से स्पष्ट जवाब मांगा है कि आखिर क्यों न्यायालय के आदेशों के बावजूद किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी जा रही है।
मामले की अगली सुनवाई में सरकार की भूमिका और जवाब पर अदालत की कड़ी नजर रहेगी।