माखन नगर : हनुमान की तरह अगर हमारी राम नाम में श्रद्धा मजबूत होगी तो अंहकार, ईर्ष्या, लोभ और मोह अपने आप छूट जाएंगे।
माखन नगर के बाबा मैरिज गार्डन में राम कथा के अंतिम दिन कथा वाचक पंडित अनिल मिश्रा ने लंका दहन और रावण वध की कथा का वर्णन किया। उन्होंने प्रसंग सुनाते हुए बताया कि पंचवटी में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और जानकी कुटिया में रहने लगते हैं। राम, सीता को नर लीला करने के लिए कहते हैं। सीता को अग्नि देव शिक्षा प्रदान करते हैं। इसी दौरान पंचवटी में शूर्पणखा आती है। वह सुंदर बन कर भगवान राम के आगे शादी का प्रस्ताव रखती है।
राम उनको कहते हैं कि वह विवाहित हैं तथा उनका भाई लक्ष्मण अभी तक अविवाहित है। इसके बाद शूर्पणखा उससे विवाह का निवेदन करती है। शूर्पणखा के बार-बार जिद करने पर वह नहीं मानते। इसी दौरान शूर्पणखा अपने कुरुप रूप में आकर सीता को मारने की धमकी देती है। इस पर क्रोधित होकर लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं।
इसके बाद शूर्पणखा खरदूषण, त्रिसरा के पास जाती है। वे राम से युद्घ करते हैं। भगवान सभी निशाचरों का अंत कर देते हैं। इसके बाद शूर्पणखा रावण को इस युद्ध के बारे में बताती है। तब रावण क्रोध में आकर कहता है कि प्रभु का अवतार हो गया, अब मैं उनसे बैर पैदा कर सीता का हरण करूंगा। रावण मरीच की सहायता से सीता का हरण कर लेता है।
हनुमान की तरह भक्ति करनी चाहिए
उधर, जटायु से रावण युद्ध करता है। जटायु को घायल कर रावण, सीता को अशोक वाटिका ले जाता है। भगवान राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए जटायु के पास पहुंच जाते हैं। राम को जटायु बताते हैं कि रावण, माता सीता का हरण करके ले गया है। जटायु का उद्घार कर प्रभु शबरी के आश्रम पहुंच कर उनके बेर खाते हैं। इसके बाद वह हनुमान को मिलते हैं, हनुमान उनको अपने कंधों पर सुग्रीव के पास ले जाते हैं।
सुग्रीव, राम की सहायता से बाली का वध करवा देते हैं। इसके बाद सीता की खोज के लिए अंगद, जामवंत, हनुमान निकल पड़ते हैं। पंडित अनिल मिश्रा ने बताया कि हनुमान की तरह अगर हमारी राम नाम में श्रद्धा मजबूत होगी तो अंहकार, ईर्ष्या, लोभ और मोह अपने आप छूट जाएंगे। इसके बाद कथा में लंका दहन, अंगद संवाद और रावण वध की कथा का वर्णन किया। कथा के अंत में आरती की गई।