DENVA POST Exclusive: मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। चौक—चाराहों पर भले ही अभी चुनावी चर्चा शुरू नहीं हो पाई है, लेकिन राजनीतिक पंडित गुणा—भाग लगाने में व्यस्त हो चुके हैं। ऐसे में हम आज बात करेंगे नर्मदापुरम (पहले होशंगाबाद) की हाल ही में किशोर हुई विधानसभा सोहागपुर की। यहां हम किशोर शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि विधानसभा के गठन को 15 साल पूरे हो चुके हैं, उम्र के इस पड़ाव को किशोरावस्था कहा जाता है। सोहागपुर विधानसभा शिशु से लेकर पूरा बचपन (यानी विधानसभा गठन के 13 साल तक) बीजेपी के गोद में ही खेली, उसकी उंगली पकड़कर ही चली, लेकिन किशोरावस्था में पहुंचने तक विधानसभा के चाल ढ़ाल बदले बदले नजर आ रहे हैं, हो भी क्यों न…यह अवस्था ही ऐसी है जब बदलाव को तेजी से महसूस किया जाता है। इस अवस्था के लोग हमेशा यह नहीं बता पाते हैं, कि वे कैसा महसूस करते हैं और वे चीजों को अपने अंदर ही रखते हैं, कुछ ऐसा ही किशोर हुई विधानसभा सोहागपुर के साथ है। यदि बीजेपी ने समय पर पहचान लिया तो ठीक नहीं तो किशोरावस्था विद्रोह और मतांतर की अवस्था होती है, कहीं ऐसा न हो कि किशोर हुई सोहागपुर विधानसभा आगे के सफर के लिए किसी और का हाथ ही न थाम लें।
बीजेपी ने जहां से शुरूआत की वहीं पहुंच गई
मध्यप्रदेश में 138वी विधानसभा के रूप में वर्ष 2008 में सोहागपुर विधानसभा का गठन हुआ। तब से यहां बीजेपी के विधायक विजयपाल सिंह की ही विजय पताका फहर रही है। मौटे तौर पर देखने में इसे बीजेपी का अभेद किला कहा जा सकता है, लेकिन इस अभेद किले में अब कब दरार पड़ जाए और किले में सेंध लग जाए इसे लेकर संभावनाएं तलाशी जाने लगी है। कारण…बीजेपी से जहां से शुरूआत की थी वह बीते चुनाव में वहीं पहुंच गई। विधानसभा के पहले चुनाव यानी 2008 में बीजेपी को 48% वोट मिले थे। 2013 में इसमें इजाफा हुआ और वोट बढ़कर हो गए 55%, लेकिन 2018 में वापस बीजेपी को 48% ही वोट मिले। मतलब 10 सालों में गाड़ी जहां से शुरू हुई, वापस वहीं आकर रूक गई।
कांग्रेस का हर इलेक्शन में बढ़ रहा 4% वोट
सोहागपुर विधानसभा में भले ही कांग्रेस अब तक अपना खाता भी नहीं खोल पाई हो, लेकिन उसका विधानसभा के हर चुनाव में 4% वोट बढ़ रहा है। एक ओर बीजेपी का वोट बैंक जहां से शुरू हुआ वहीं पर पहुंच गया तो दूसरी ओर कांग्रेस का हर विधानसभा चुनाव में 4% वोट बढ़ना बीजेपी के लिए चिंता का विषय है। यदि 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस का यही ट्रेंड रहा और इस बार भी 4% वोट का इजाफा हो गया तो समझो बीजेपी के गढ़ को बचाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि सोहागपुर विधानसभा में कांग्रेस को 2008 के चुनाव में 34% तो 2013 के चुनाव में 4% बढ़कर 38% वोट मिले थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट बैंक में दोबारा 4% का उछाल आया और 42% मिले। यदि यही ट्रेंड रहा तो इस बार कांग्रेस का वोट बैंक 46% तक जा सकता है और यही बीजेपी के लिए चिंता का विषय है।
जीत—हार का अंतर भी हो रहा कम
2008 के चुनाव में बीजेपी के विजयपाल सिंह को 56578 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के मेहरबान सिंह को 40037 वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 16 हजार से ज्यादा वोटों का था। 2013 के चुनाव में बीजेपी के विजयपाल सिंह को 92859 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के रणवीर सिंह को 63968 वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 28 हजार से ज्यादा वोटों का था। इसके बाद स्थिति बदली और 2018 के चुनाव में विजयपाल सिंह को 87488 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के सतपाल पलिया को 76071 वोट मिले। इस बार बीजेपी 2008 के चुनाव से भी कम 11,417 के अंतर से जीती। यदि कांग्रेस अपने वोट बैंक के ट्रेंड का बनाए रखती है तो इस बार पेंच फंस सकता है।