छह माह बीते, 99 हजार विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिली सरकारी गणवेश

लापरवाही: बच्चे रंग बिरंगे पुराने कपड़े पहनकर आ रहे स्कूल, स्वयं सहायता समूह बनाकर देते हैं बच्चों की ड्रेस

शिक्षा विभाग भले ही सरकारी स्कूल में बच्चों को हर सुविधा उपलब्ध कराने के दावे करता हो, लेकिन यह दावे जमीनी स्तर पर सही साबित नहीं हो रहे हैं। जिले में नवीन शिक्षा सत्र 2023-24 के छह महीने बीतने के बाद भी कक्षा एक से 8वीं तक के 1987 सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 99 हजार 435 बच्चों को गणवेश नहीं मिली है। इस स्थिति में बच्चे रोज फटे, पुराने रंग बिरंगे कपड़े पहन स्कूल आ रहे हैं। इससे न केवल स्कूल में पढ़ाई का माहौल बन पाता है और बच्चे, शिक्षक भी अपने आप को असहज महसूस करते हैं।

जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूल के बच्चों की ड्रेस बनाने का ठेका ग्रामीण अजीविका मिशन के पास है। आरएसके (राज्य शिक्षा केंद्र) अजीविका मिशन को ड्रेस बनाने राशि जारी करता है। अजीविका मिशन यह राशि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को देकर ड्रेस तैयार कराता है। बताया जाता है कि शिक्षा सत्र 2023-24 में बच्चों की ड्रेस बनाने के लिए अभी तक स्वयं सहायता समूह को राशि का आवंटन नहीं हुआ है। इस वजह से ड्रेस बनाने का कार्य अधर में अटक गया है। समूह लंबें समय से राशि मिलने का इंतजार कर रहा है, जिससे कि काम प्रारंभ कर सकें।

एक जोड़ी ड्रेस पर मिलते हैं 600 रुपए

जिले में 29 स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 538 महिलाएं ड्रेस बनाने का काम करती है। एक बच्चे की ड्रेस तैयार करने पर उनको 600 रुपए मिलते हैं। इस राशि में समूह को खुद ही कच्चा मटेरियल खरीदकर उससे ड्रेस बनाकर देनी रहती है। समूह के सामने दिक्कत यह है कि बिना राशि मिले वह कैसे ड्रेस बनाने का काम प्रारंभ करें। यदि समूह को अब भी राशि आवंटित होती है तो ड्रेस तैयार करने तक पूरा शिक्षा सत्र ही खत्म हो जाएगा।

स्वयं सहायता समूह ही स्कूल के बच्चों की गणवेश बनाकर देता है। इस बार अभी तक बच्चों की डे्रस नहीं बन पाई है। जैसे ही ड्रेस बनेगी वैसे ही बच्चों को वितरण कर दी जाएगी।

आरआर उईके, डीपीसी शिक्षा विभाग सीहोर

जो स्वयं सहायता समूह बच्चों की गणवेश तैयार करते हैं, उनको अभी राशि का आवंटन नहीं हो सका है। इस वजह से वह काम शुरू नहीं कर पाए हैं। इसकी प्रक्रिया चल रही है।

दिनेश बरफा, डीपीएम एनआरएलएम

जिले में कक्षा एक से 8वीं तक बच्चों की स्थिति

ब्लॉक एक दो तीन चार पांच छठवीं सात आठवीं

इछावर 1564 1644 2029 1805 1922 1922 2260 2177

सीहोर 3012 3178 3716 2969 3448 3054 3556 3687

भैरुंदा 2311 2472 2977 2573 2983 2954 3248 3127

आष्टा 2660 2760 3253 2596 2811 2795 3119 3274

बुदनी 1124 1267 1530 1229 1388 1541 1719 1781

पुरानी ड्रेस में मनाना पड़ेगा राष्ट्रीय पर्व

जिन बच्चों के पास पुरानी ड्रेस भी नहीं है उनको नए साल में 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस रंग बिरंगे कपड़ों से ही मनाना पड़ेगा। गरीब पालकों का कहना है कि उनके पास अभी इतने पैसे भी नहीं है कि खुद बच्चों को ड्रेस खरीद कर उपलब्ध करा दें। छोटे बच्चों का कहना है कि मजबूरी में उनको पुरानी या कटी, फटी ड्रेस पहनकर स्कूल आना पड़ता है।

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