भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण में तेजी आएगी, टाटा समूह ने सेमीकंडक्टर उद्योग में संभावनाओं का पता लगाने के लिए एनालॉग डिवाइसेज के साथ साझेदारी की

पिछले कुछ महीनों में सेमीकंडक्टर्स की देश में मैन्युफैक्चरिंग के लिए केंद्र सरकार और प्राइवेट सेक्टर ने कदम बढ़ाए हैं। इसी कड़ी में Tata group ने अमेरिकी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरर Analog Devices के साथ टाई-अप किया है। टाटा ग्रुप की सेमीकंडक्टर से जुड़ी कंपनी Tata Electronics ने गुजरात के धोलेरा में लैबोरेटरी बनाने के लिए 11 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट करने की योजना बनाई है।

Analog Devices के साथ यह एग्रीमेंट Tata Electronics, Tata Motors और Tejas Networks ने किया है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर चिप्स की असेंबलिंग और टेस्टिंग के लिए असम के जागीररोड में एक प्लांट में भी तीन अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट करेगी। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और Analog Devices गुजरात में लैबोरेटरी में अमेरिकी कंपनी के प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए संभावनाएं तलाशेंगी। टाटा मोटर्स की योजना अपने पैजेंसर और कमर्शियल व्हीकल बिजनेस में एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर कंपोनेंट्स में Analog Devices की मदद लेने की है।

Tejas Networks और Analog Devices की योजना नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर कंपोनेंट्स बनाने की है। इस महीने की शुरुआत में अडानी ग्रुप और इजरायल की Tower Semiconductor ने महाराष्ट्र में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए टाई-अप किया था। इस प्रोजेक्ट में लगभग 10 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट किया जाएगा। केंद्र सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाने के लिए इंटरनेशनल कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य देश को सेमीकंडक्टर में बड़ी ताकत बनाने का है। महाराष्ट्र में लगने वाले इस सेमीकंडक्टर प्लांट की शुरुआती कैपेसिटी 40,000 वेफर्स की होगी। देश का सेमीकंडक्टर मार्केट 2026 तक 63 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। पिछले कुछ वर्षों में सेमीकंडक्टर्स की डिमांड तेजी से बढ़ी है। हालांकि, इसकी तुलना में सप्लाई बहुत कम है। अडानी ग्रुप की यह एक नए सेगमेंट में एंट्री होगी। अमेरिका और चीन के बीच तनाव के कारण सेमीकंडक्टर्स के सेगमेंट में बदलाव हो रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सिंगापुर के विजिट के दौरान दोनों देशों ने चिप डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग में सहयोग बढ़ाने के लिए एग्रीमेंट किया था। इंटरनेशनल चिप मार्केट में सप्लाई पर असर पड़ा है। इसका फायदा भारत, सिंगापुर और मलेशिया को मिल सकता है। इस वर्ष इंटरनेशनल चिप मार्केट की सेल लगभग 588 अरब डॉलर पर पहुंच सकती है।

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