Sehore News : बुधनी उपचुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि भाजपा की सत्ता का दबदबा था, लेकिन स्थानीय नेता की प्रभावशाली भूमिका भी कम नहीं

मध्य प्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा बुधनी विधानसभा सीट को लेकर थी। यह सीट पिछले 20 वर्षों से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम जुड़ी हुई है, जिन्होंने इस सीट से लगातार जीत हासिल की थी। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी शिवराज सिंह चौहान ने करीब 1 लाख 4 हजार वोटों से भारी जीत दर्ज की थी, लेकिन विदिशा लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद यह सीट उपचुनाव के लिए खुल गई।

उपचुनाव में भाजपा ने रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बनाया, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को अपनी ओर से मैदान में उतारा। सीहोर जिले के शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में हुई मतगणना में शुरुआत के तीन राउंड में कांग्रेस के राजकुमार पटेल ने बढ़त बनाई। इसके बाद मतगणना स्थल के बाहर उनकी जीत को लेकर समर्थकों का उत्साह बढ़ गया और वहां भारी संख्या में लोग जुटने लगे। यह दृश्य देख ऐसा लगने लगा कि क्या इस बार बुधनी विधानसभा में बदलाव आएगा।

स्थानीय नेता की छवि का असर

बुधनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से बात करने पर यह स्पष्ट हुआ कि इस चुनाव को वे कांग्रेस वर्सेज बीजेपी के रूप में नहीं बल्कि राजकुमार पटेल वर्सेस भाजपा के रूप में देख रहे थे। लोग राजकुमार पटेल की स्थानीय नेता वाली छवि से प्रभावित थे और उनके समर्थन में बड़ी संख्या में लोग दिखाई दे रहे थे। उनका मानना था कि राजकुमार पटेल से अच्छा उम्मीदवार कांग्रेस के पास नहीं हैं और वह इस चुनाव में जीत हासिल करेंगे, क्योंकि उनकी छवि क्षेत्रीय विकासक और लोगों के बीच सशक्त नेता की रही है।

भाजपा की सत्ता का आरोप

हालांकि, देर शाम जब नतीजे भाजपा के पक्ष में आए, तो राजकुमार पटेल को लगभग 13,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, उनके समर्थक इसे एक प्रकार की जीत मान रहे थे। उनका कहना था कि भाजपा ने सत्ता का पूरी तरह से उपयोग कर यह जीत हासिल की है। एक समर्थक ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे आरती सिंह चौहान ने चुनाव के दौरान सरपंचों को धमकी दी थी, जिससे कई मतदाता भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर हो गए थे। उनका मानना था कि यदि यह दबाव न होता तो राजकुमार पटेल की लहर भाजपा के उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के खिलाफ काम करती।

राजकुमार पटेल की लीडरशिप को सराहा

बुधनी विधानसभा के मतदाता  ने कहा, “भले ही राजकुमार पटेल यह चुनाव हार गए हों, लेकिन उन्होंने जिस तरह से चुनाव लड़ा, उसने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों का दिल जीत लिया है।” उन्होंने यह भी कहा कि राजकुमार पटेल ने अपनी कड़ी मेहनत और क्षेत्रीय पहचान से इस चुनाव को एक सम्मानजनक प्रतिस्पर्धा बनाया और आने वाले समय में उनकी राजनीतिक यात्रा में यह चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।

इस चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि भले ही भाजपा की सत्ता का दबदबा था, लेकिन स्थानीय नेता की प्रभावशाली भूमिका और क्षेत्रीय विकास के प्रति समर्पण ने मतदाताओं का विश्वास जीतने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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