10 बच्चों से कम वाले स्कूल मर्ज किए जाएंगे, शिक्षकों का दूरस्थ स्कूलों में ट्रांसफर

भोपाल: मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने गुरुवार को विधानसभा में घोषणा की कि राज्य में जिन सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 10 से कम है, उन्हें नजदीकी बड़े स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। साथ ही ऐसे विद्यालयों में पदस्थ शिक्षकों का ट्रांसफर उन दूरस्थ सरकारी स्कूलों में किया जाएगा जहाँ शिक्षक पद लंबे समय से खाली पड़े हैं।
शिक्षा मंत्री ने यह जानकारी विधायक अमर सिंह यादव के एक सवाल के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि यह कदम राज्य में चल रही स्कूल मर्जिंग नीति और “एक शाला–एक परिसर” के विज़न का हिस्सा है, जो हाल ही में शुरू किए गए CM Rise Schools और Sandipani Schools मॉडल से भी जुड़ा हुआ है।
राज्य में स्कूल मर्जिंग की आवश्यकता क्यों?
विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों और पूर्व में जारी रिपोर्टों से पता चलता है कि राज्य में बड़ी संख्या में स्कूल बेहद कम छात्रों के साथ संचालित हो रहे हैं।
महत्वपूर्ण आंकड़े
11,345 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनमें कक्षा 1 से 5 या 8 तक कुल विद्यार्थियों की संख्या 10 से भी कम है।
5,500 स्कूलों में कक्षा-1 में एक भी नया प्रवेश नहीं हुआ।
25,000 स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ 1 या 2 छात्रों ने ही प्रवेश लिया।
प्रदेश में कुल 94,039 सरकारी स्कूल संचालित हैं।
शिक्षकों की स्थिति चिंताजनक
प्रदेश के लगभग 22,000 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।
दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में कई स्कूलों में शिक्षक अतिशेष (Surplus) हैं।
सरकार का कहना है कि मर्जिंग और पुनः पदस्थापन के बाद शिक्षकों का संतुलित वितरण हो सकेगा।
सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में गिरावट
स्कूल शिक्षा मंत्री ने सदन में बताया कि पिछले 10 वर्षों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में 21 लाख की कमी आई है।
इस गिरावट को निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या, प्रवास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता और जनसंख्या पैटर्न में बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकार के अनुसार सुधार का लक्ष्य
छोटे और निष्प्रयोजन स्कूलों का विलय
संसाधनों और शिक्षकों का बेहतर उपयोग
CM Rise और Sandipani मॉडल के माध्यम से शिक्षण की गुणवत्त बढ़ाना
छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण उपलब्ध कराना
सरकार का दावा है कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और संसाधनों के सही उपयोग की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार साबित होगा, हालांकि विपक्ष और शिक्षक संगठनों की ओर से इस नीति पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो रही हैं।

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