Sawan 2025 : विंध्याचल की गोद में प्रकृति करती है भोले का अनोखा अभिषेक, रहस्य कर देगा हैरान

श्रावण मास की पावन बेला में सीहोर जिले का प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। भोलेनाथ को समर्पित इस पवित्र माह में हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं। मान्यता है कि श्रावण मास में शिव आराधना से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, मानसिक शांति मिलती है और जीवन से नकारात्मकता का नाश होता है।

बुधनी तहसील से करीब 25 किलोमीटर दूर सलकनपुर की विंध्याचल पर्वतमालाओं के घने जंगलों में स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता यह है कि यहां बारहों महीने शिवलिंग पर जलाभिषेक होता है। कहा जाता है कि गुफा में स्थित शिवलिंग पर पहाड़ों से रहस्यमयी जलधारा लगातार टपकती रहती है, चाहे गर्मी हो या सर्दी। यह जल कहां से आता है, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है।

इस मंदिर की महिमा यही नहीं थमती। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां की दिव्यता और शांति उन्हें खींच लाती है, चाहे रास्ता कितना ही कठिन क्यों न हो। जंगल, नदियां और पहाड़ियों के बीच स्थित यह स्थल महादेव के चमत्कारिक प्रभाव का जीवंत उदाहरण है। नकटीतलाई गांव से 6 किलोमीटर और बुधनी-संदलपुर नेशनल हाईवे-22 से कुछ दूरी पर स्थित यह मंदिर सावन माह में विशेष रूप से जाग्रत हो उठता है।

श्रद्धालु बारिश और दुर्गम रास्तों की परवाह किए बिना टपकेश्वर महादेव के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यहां शिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर की गुफा, चट्टानों की बनावट और प्राकृतिक वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने से न केवल आत्मिक शुद्धि मिलती है, बल्कि सुख-समृद्धि और ग्रह दोषों से मुक्ति भी प्राप्त होती है। टपकेश्वर महादेव मंदिर इस अद्भुत आस्था और चमत्कारी प्रकृति का प्रतीक बनकर भक्तों को हर साल बड़ी संख्या में आकर्षित करता है।

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