Kanchan Sharma
Bhopal: हिंदु श्रद्धालुओं के लिए ‘सावन माह’ बड़ा महत्व रखता है। क्योंकि, सावन माह भगवान शिव की भक्ति और मां पार्वती की शक्ति को समर्पित है। इस महीने पूजा पाठ से जुड़े कई नियमों का पालन करने के अलावा, खाने-पीने में भी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी हैं। सावन के महीने में वह सभी साग-सब्जियां मिलती हैं, जो अन्य दिनों में मिलती हैं। लेकिन, सावन में साग खाना अशुभ होता है। इसके पीछे धार्मिक कारण भी माना गया है और वैज्ञानिक तर्क भी इसका समर्थन करते हैं। आइए जानें आखिर सावन में साग खाने को लेकर क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक कारण।
शास्त्रों के नियमानुसार, सावन में साग नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रकृति से बेहद प्रेम है। ऐसे में साग-पात को तोड़कर खाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा करने से शिवजी अप्रसन्न होते हैं। वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक तर्क यह कहता है कि सावन के महीने में साग में पित्त बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि पाचन में समस्या पैदा करते हैं। दूसरी तरफ सावन में बारिश अधिक होती है और अधिक बारिश होने पर हरे साग में कीट पतंतों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें खाना अच्छा नहीं माना जाता है और सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सावन में जहां तक हो सके साग नहीं खाना चाहिए।
इस महीने में मौसम में पहले से ही नमी और ठंडक रहती है। दही की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में दही का सेवन करने से आपको सर्दी-जुकाम की समस्या हो सकती है। इसलिए अधिक जरूरी न हो तो सावन के महीने में दही का प्रयोग न करें। सावन के महीने में भूलकर भी मांसाहार या फिर लहसुन और प्याज का सेवन न करें। ऐसा माना जाता है कि ये चीजें शरीर में गर्मी पैदा करती हैं और इस वजह से आपका मन भोग-वासना की तरफ आकर्षित होता है। जो कि भगवान शिव की भक्ति में बाधा उत्पन्न करता है। इसलिए जरूरी है कि सावन के महीने में मांसाहार और लहसुन प्याज से दूर रहें।