सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ प्रशासन को चौंका दिया बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। यहां एक व्यक्ति का आय प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसमें उसकी वार्षिक आय सिर्फ ₹3 दर्ज थी — यानी मासिक आमदनी 25 पैसे!
इस हैरतअंगेज़ दस्तावेज़ की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, लोग प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे। स्थानीय स्तर पर यह प्रमाणपत्र तहसील कार्यालय से जारी किया गया था।
प्रशासन ने दी सफाई: “लिपकीय त्रुटि”
मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने बयान जारी कर कहा कि यह एक लिपकीय त्रुटि थी, जो पटवारी द्वारा डेटा एंट्री के दौरान हुई। उन्होंने बताया कि जैसे ही मामला सामने आया, प्रमाणपत्र को तत्काल निरस्त कर दिया गया और सही जानकारी के साथ नया प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
क्या सिर्फ ‘त्रुटि’ है या बड़ी लापरवाही?
इस घटना ने प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि यह दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर उजागर न होता, तो क्या संबंधित व्यक्ति कभी सही प्रमाणपत्र पा पाता?
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की त्रुटियां दुर्लभ हैं और उन्हें तत्काल सुधारा जाता है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला सिर्फ एक टाइपो नहीं, बल्कि निगरानी और जवाबदेही की कमी का संकेत है।
यह प्रकरण उस बड़ी सच्चाई की ओर इशारा करता है, जिसमें एक सामान्य नागरिक की नियति एक गलत एंट्री से तय हो सकती है।