नर्मदापुरम: प्रधानाध्यापक सुनील शर्मा की वेतन वृद्धि रोकी

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम (Narmadapuram) संभाग के एक आंतरिक शैक्षिक निरीक्षण और अनुवर्ती जांच के बाद सरकारी मिडिल स्कूल, झालौन के प्रधानाध्यापक सुनील शर्मा की वार्षिक समेकित वेतन वृद्धि एक वर्ष के लिए रोकी गई है। यह प्रशासनिक कार्रवाई संयुक्त संचालक लोकशिक्षण,नर्मदापुरम द्वारा जारी आदेश में दर्ज अनियमितताओं और विद्यार्थियों की कमजोर शैक्षिक स्थिति के आधार पर की गई।

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निरीक्षण टीम ने 28 जुलाई से 4 अगस्त 2025 के बीच विद्यालय का अकादमिक अवलोकन किया था। निरीक्षण-विवरण के अनुसार विद्यालय में तैनात चार शिक्षकों में से तीन — जिनमें श्रीमति प्रीति शर्मा एवं श्रीमति अस्मिता आवटे सहित प्रधानाध्यापक सुनील शर्मा भी शामिल हैं — पूरे निरीक्षण काल के दौरान अनुपस्थित पाए गए। इसके साथ ही प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों की बुनियादी साक्षरता एवं अंकगणितीय क्षमता उम्मीद से काफी नीचे पाई गई।

निरीक्षण — शिकायत में क्या पाया गया

आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि कक्षा 1 से 3 के कई बच्चों ने अक्षर या वर्ण पहचानने में कठिनाई दिखाई, कक्षा 4–5 के कई बच्चे शब्द-स्तर पर पढ़ने में असमर्थ रहे और कक्षा 6–8 के विद्यार्थी भी अपेक्षित स्तर पर पाठ्यक्रम संबंधी प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पाए। अनुवर्ती जांच में गणित के प्रश्न-उत्तर में उल्लेखनीय कमी सामने आई — शिक्षण सामग्री या शिक्षण-प्रक्रिया किस हद तक प्रभावी रही, इस पर प्रश्न खड़े हुए।

एक शिकायत में यह भी कहा गया कि प्रधानाध्यापक ने कॉल पर एक सहकर्मी को अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए धमकाया — पर दो-सदस्यीय जांच पैनल को इस आरोप के पक्ष में कोई ठोस दस्तावेजी साक्ष्य या विश्वसनीय गवाह नहीं पाया। आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि अभद्रता के आरोप का कोई समर्थन न मिलने पर भी लगातार अनुपस्थिति और विद्यार्थियों की कमजोर शैक्षिक प्रगति को गंभीर लापरवाही माना गया।

नोटिस, जवाब और पुन: जाँच

निरीक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद जिला (Narmadapuram) शिक्षा विकास समन्वयक ने प्रधानाध्यापक को शो-कॉज़ नोटिस जारी किया। सुनील शर्मा ने 1 सितंबर 2025 को लिखित में अपना जवाब प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कक्षा व उपस्थिति सुधार के प्रयासों का हवाला दिया। उसके बाद 24 सितंबर 2025 को गठित दो-सदस्यीय दल ने विद्यालय का पुन: आकलन किया और पाया कि विद्यार्थी स्तर पर सुधार न के बराबर था तथा अनुपस्थिति की शिकायतें सत्यापित रहीं।

समेकित निष्कर्ष के मद्देनजर संयुक्त संचालक लोकशिक्षण, नर्मदापुरम (Narmadapuram) ने सिविल सेवा आचरण नियमों के हवाले से एक वर्ष के लिये वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने का निर्देश दिया है; यह राशि क्रमिक कटौती के माध्यम से वेतन से घटाई जाएगी। आदेश में अपील और लगे हुए नियमों का भी जिक्र है, इसलिए संबंधित अधिकारी के पास विभागीय अपील का मार्ग मौजूद रहेगा।

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प्रशासनिक प्रक्रिया और निर्देश

आदेश की प्रतियां जिला (Narmadapuram) शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर व ब्लॉक व क्लस्टर शिक्षा अधिकारियों को भेज दी गई हैं ताकि आवश्यक अभिलेख अद्यतन और प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। साथ ही आदेश में कहा गया है कि संबंधित सेवा-पुस्तिका में आदेश की छायाप्रति सुरक्षित करके ई-ऑफिस पर उपलब्ध कराई जाए।

विशेषज्ञों का मत: दंड के साथ सुधार भी जरूरी

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जवाबदेही और अनुशासन आवश्यक हैं, परन्तु केवल सजा से समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं निकलता। वे सुझाव देते हैं कि इस तरह के मामलों में प्रशासनिक दंड के साथ-साथ शिक्षकों के लिये लक्षित प्रशिक्षण, कक्षा-आधारित मॉनिटरिंग, और कमजोर विद्यार्थियों के लिये त्वरित राहत/रिमीडियल कार्यक्रम लागू करने चाहिए।

विशेषज्ञों ने बताया कि शुरुआती कक्षाओं में अक्षर व अंक-समझ की कमी का मतलब है कि आगे की पढ़ाई की नींव कमजोर है — इसे दुरुस्त करने के लिये डायग्नोस्टिक असेसमेंट, छोटे-समूह शिक्षण, अभिभावक-समीति व स्थानीय निगरानी आवश्यक है। केवल वेतन-रोकने जैसी कार्रवाई अल्पकालिक जवाबदेही दिखाती है, पर लंबे समय में स्कूल शिक्षा के सुधार के लिये प्रशिक्षित संसाधन तथा नियमित निरीक्षण प्रणाली की जरूरत है।

विद्यार्थियों पर प्रत्यक्ष असर और प्रणालीगत प्रश्न

ऑडिट से स्पष्ट हुआ कि समस्या केवल एक शिक्षक की उपस्थिति तक सिमटी नहीं है; यह स्कूल-स्तर की निगरानी, कक्षापूर्ति, प्रशिक्षण और स्थानीय प्रशासनिक समर्थन की कमी की ओर संकेत करती है। प्राथमिक स्तर पर यदि बुनियादी साक्षरता व अंकगणित कमजोर रहेंगे तो बच्चे आगे के शैक्षिक स्तरों पर पिछड़ते चले जाएंगे। इसलिए पदों पर तैनात सभी हितधारकों—ब्लॉक-स्तर के अधिकारियों से लेकर स्कूल प्रबंधन तक—को मिलकर कार्ययोजना बनानी होगी।

आगे का रास्ता

आदेश में उल्लेखित नियमों के तहत सुनील शर्मा को अपील का अधिकार है; आगे विभागीय अपील या न्यायिक प्रक्रियाएं जारी रह सकती हैं। वहीं, स्थानीय शिक्षा अधिकारियों के सामने चुनौती यह है कि वे त्वरित सुधारात्मक कदम उठाते हुए विद्यार्थियों के नुकसान की भरपाई करें — वरना अगली रिपोर्ट में परिणाम वही दिखाई देंगे।

निष्कर्ष: निरीक्षण रिपोर्ट ने विद्यालय-स्तर के गम्भीर दोष उजागर किए हैं और प्राथमिक कदम के रूप में वेतन वृद्धि रोकने का प्रशासनिक निर्णय लिया गया। पर दीर्घकालिक सुधार के लिये दंड के साथ-साथ शिक्षण-शैली, निगरानी और संसाधन मुहैया कराना नितांत आवश्यक है, वरना बच्चों की पढ़ाई का सबसे बड़ा नुकसान वही होगा जिसके शिक्षण व्यवस्था जिम्मेदार है।

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