Sagar News: पंच गव्य, गौमूत्र तथा गोबर से बनाते हैं गणेश प्रतिमाएं, निःशुल्क किया जाता है वितरण

Panch Gavya makes Ganesh idols from cow urine and cow dung: it is distributed free of cost

सागर मिट्टी गणेश

गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर, जहां पंडालों और घरों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं, वहीं अक्सर देखा गया है कि इनमें से अधिकांश प्रतिमाएं पी.ओ.पी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी होती हैं। पी.ओ.पी की प्रतिमाएं जल में घुलनशील नहीं होतीं, जिससे जल प्रदूषण फैलता है और जलीय जीवों को नुकसान होता है। सागर जिले के ढाना गांव के कुछ युवा पिछले ग्यारह वर्षों से इस समस्या के समाधान के लिए मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं और उनका निःशुल्क वितरण कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश शासन के अपर लोक अभियोजक और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक पौराणिक के नेतृत्व में इस वर्ष भी गौ माता के गोबर, गोमूत्र, पंचगव्य, शुद्ध मिट्टी और पवित्र नदियों गंगा, नर्मदा, और बेतवा के जल से मिलाकर छोटी-छोटी गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। इन प्रतिमाओं का निःशुल्क वितरण युवाओं के सहयोग से किया जाएगा। दीपक पौराणिक ने बताया कि भगवान गणेश की प्रतिमाओं के निर्माण और निःशुल्क वितरण का यह कार्य पिछले 11 वर्षों से किया जा रहा है। इस वर्ष आयोजन का बारहवां वर्ष है। उनका उद्देश्य है कि भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विधि-विधान से प्रत्येक घर में पूजन हो और पी.ओ.पी से बनी प्रतिमाओं का उपयोग कम से कम हो, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।

उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों से इन प्रतिमाओं का निःशुल्क वितरण किया गया है। वितरण के बाद इन प्रतिमाओं का विसर्जन भी घर में ही गंगा-नर्मदा के जल से बने कुंड में किया जा सकता है। भगवान गणेश की प्रतिमाओं का वितरण गणेश चतुर्थी के पूर्व किया जाता है, ताकि हर घर में रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ का आगमन हो और जीवन में सफलता मिले।

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