स्कूली बच्चे
‘स्कूल चले हम’ के नारे के साथ स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2024-25 शुरू हो चुका है। सागर जिले में स्कूल शिक्षा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की मंशा पर ही सवाल खड़े करता है। सागर नगर से चार किलोमीटर दूर जिंदा गांव में दो ऐसे स्कूलों को चलाया जा रहा है, जिन्हें पांच साल पहले ही बंद हो जाना था। यहां प्राथमिक स्कूल में कुल दर्ज छह विद्यार्थी, जिन्हें पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक पदस्थ किए हुए हैं।
जबकि जिंदा गांव की ही माध्यमिक स्कूल में महज तीन विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक रखे हुए हैं। पहले इनकी संख्या सात थी। कक्षा 8वीं के चार विद्यार्थी वे हैं, जिन्हें पिछले सत्र में सप्लीमेंट्री आई है। लेकिन वह पास हो गए। यानी दोनों स्कूलों के नौ विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए आठ शिक्षक रखे हुए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग में नियम है कि है कि 20 से कम विद्यार्थी होने पर स्कूल को बंद कर वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को नजदीक के ही स्कूल में नाम लिखाए जाते हैं। परंतु यहां ऐसा करने की जगह चार नए शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई। कुल मिलाकर हर साल सैलरी के नाम पर करीब 60-70 लाख रुपये का व्यय किया जा रहा है। यहां के विद्यार्थी प्राइवेट स्कूलों की ओर आकर्षित हुए और नए एडमिशन दो साल से जीरो पर आ गए हैं। अब इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। इस पर तुरंत ही कार्रवाई करते हुए उचित निर्णय लिया जाएगा।