माखननगर: प्राचार्य के मार्गदर्शन में एनएसएस-सांस्कृतिक पहल — 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम

माखननगर, 10 अक्टूबर 2025 — श्री माखनलाल चतुर्वेदी शासकीय महाविद्यालय, माखननगर में प्राचार्य के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और भारतीय ज्ञान परम्परा के संयुक्त तत्वावधान में 10 अक्टूबर को व्यापक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के प्रति जागरूकता बढ़ाना, चिंता-अवसाद के लक्षण और उनके निदान के बारे में जानकारी देना तथा आत्महत्याओं जैसी गंभीर समस्याओं पर खुलकर चर्चा करना था।

Mental Health

विश्व स्तर पर हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) दिवस मनाया जाता है

यह पहल 1992 में वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (WFMH) द्वारा शुरू की गई थी और इसे WHO सहित कई वैश्विक संस्थाएं समर्थन देती हैं। WFMH के सदस्यों और संपर्कों का दायरा 150 से अधिक देशों तक फैला हुआ है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे शासकीय चिकित्सालय, माखननगर की चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रेमा अरविंद कावड़कर। उन्होंने विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के कारण, प्रभाव और निदान के बारे में विस्तार से समझाया। डॉ. कावड़कर ने चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि दोनों की प्रकृति, कारण और संकेत अलग-अलग हो सकते हैं, परन्तु दोनों का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन पर गहरा पड़ता है।

डॉ. कावड़कर ने विद्यार्थियों को सहज भाषा में कई व्यावहारिक सुझाव दिए: “व्यक्ति को लक्ष्य निर्धारित कर के नियमितता और अनुशासन बनाए रखना चाहिए। असफलता और अपमान से भयभीत न होकर अपनी कमियों पर काम करें। अपने परिवेश—परिवार व संगत—को सकारात्मक रखें क्योंकि यही कारक किसी व्यक्ति को अवसाद से बचाने में सबसे अधिक सहायक होते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर आसपास कोई व्यक्ति चिंता या अवसाद के लक्षण दिखा रहा है तो उससे बातचीत करें और यथासंभव मदद का प्रयास करें।

कार्यक्रम में आत्महत्या के सामाजिक कारणों पर चर्चा करते हुए डॉ. कावड़कर ने ज़ोर देकर कहा कि दुःख, परीक्षा का दबाव, व्यक्तिगत कठिनाइयाँ जीवन के ऐसे पहलू हैं जो अस्थायी होते हैं और इन्हें जीवन की अंतिम हार न समझा जाए। “हर किसी के पास जीवन में दोबारा कोशिश करने का अवसर रहता है — आख़िरी सांस तक कोई अवसर अंतिम नहीं होता,” उन्होंने कहा, और हर व्यक्ति के लिए एक बैकअप प्लान रखने की सलाह दी।

भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के प्रोफेसर दिग्विजयसिंह खत्री ने विद्यार्थी जीवन में तनाव के स्रोतों—परीक्षा, प्रतियोगिता, पारिवारिक अपेक्षाएँ और करियर संबंधी अनिश्चितता—पर केंद्रित वक्तव्य देते हुए कहा कि समय प्रबंधन, अपेक्षाओं का यथार्थवादी आकलन और मानसिक पुनरावृत्ति (resilience building) विद्यार्थियों के तनाव को घटाने में मदद कर सकते हैं। प्रो. खत्री ने कुछ सरल व्यायाम और सांस-आधारित तकनीकों का परिचय भी दिया जिन्हें विद्यार्थी कक्षा या स्टडी-हॉल में अभ्यास कर सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन रासेयो बालक इकाई के कार्यक्रम अधिकारी पंकज बैरवा ने किया। बैरवा ने बताया कि यह अभियान प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) शिक्षा व जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया जाता है और इसका उद्देश्य श stigma को कम कर लोगों को मदद मांगने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने श्रोताओं को स्थानीय चिकित्सकीय संसाधनों और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी देने का आश्वासन भी दिया।

यह भी पढ़े नर्मदापुरम: प्रधानाध्यापक सुनील शर्मा की वेतन वृद्धि रोकी

समारोह में महाविद्यालय नोडल अधिकारी डॉ. अमिताभ शुक्ला, ग्रंथपाल अजय मेहरा, डॉ. धर्मेंद्र सिंह चौहान, श्रीमती सुषमा यादव, श्रीमती मंजू मेहरा, श्रीमती सन्ध्या गोलियां व बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। अंत में आभार प्रदर्शन डॉ. सुमन अवस्थी ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछे और कई ने व्यक्तिगत अनुभव साझा कर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर खुलकर बातचीत की, जिससे मंच पर सकारात्मक संवाद का माहौल बना रहा।

विशेषज्ञों के अनुसार कॉलेज-स्तर पर ऐसे सत्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि युवा वर्ग में चिंता और अवसाद के लक्षण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं या सामाजिक कलंक के कारण साझा नहीं किये जाते। प्रो. खत्री ने सुझाव दिया कि महाविद्यालयों में नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग, समय-समय पर डायग्नोस्टिक असेसमेंट और पियर सपोर्ट ग्रुप्स गठित किये जाने चाहिए ताकि विद्यार्थियों को समय पर सहायता मिल सके।

कार्यक्रम के दौरान कई विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हे पहले यह नहीं पता था कि चिंता और अवसाद के लक्षण कितने सामान्य और इलाज योग्य हो सकते हैं। एक छात्रा ने मंच पर कहा, “जब विशेषज्ञों ने बतलाया कि छोटे-छोटे कदम जैसे नियमित नींद, उचित खान-पान और संवाद जीवन बदल सकते हैं, तो मैं आश्वस्त महसूस कर रही हूँ।” कार्यक्रम ने स्पष्ट कर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत को सामान्य बनाना और मदद की पहुँच बढ़ाना सबसे अहम है।

यह भी पढ़े नर्मदापुरम में जिला सीईओ हिमांशु जैन का रोजगार सहायक संघ ने किया भव्य स्वागत

महाविद्यालय के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि इस कार्यक्रम का प्रभावी रूप से पालन किया जाएगा — आवश्यक पढ़ाई-समय प्रबंधन सत्र, काउंसलिंग सेशन्स व शिक्षक-प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों के आत्म-देखभाल कौशल को मजबूत किया जाएगा। नोडल अधिकारी डॉ. अमिताभ शुक्ला ने कहा, “यह एक अकेला आयोजन नहीं रहे — हम इसे एक सतत पहल बनायेंगे ताकि विद्यार्थी केवल जागरूक न हों, बल्कि सहायता पाने के लिये सक्षम भी बनें।”

समाप्ति पर आयोजकों ने स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र और महाविद्यालय नोडल ऑफिस के संपर्क विवरण साझा किये और बताया कि यदि किसी विद्यार्थी को तात्कालिक सहायता की आवश्यकता हो तो वह महाविद्यालय काउंसलिंग रूम या नजदीकी सरकारी अस्पताल से संपर्क कर सकता है।

माखननगर के इस कार्यक्रम ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के बारे में जानकारियाँ दीं, बल्कि विद्यार्थियों में बेहतर सहमति, संवाद तथा सहायता-प्रदाता बनने की संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। वैश्विक स्तर पर 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले World Mental Health Day की तर्ज पर चलने वाली इस देशज पहल ने स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और संकटग्रस्त युवाओं तक मदद पहुंचाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

error: Content is protected !!