सेवा पखवाड़ा (seva-pakhwada) के अंतर्गत माखन नगर शासकीय महाविद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम

माखन नगर: – श्री माखनलाल चतुर्वेदी शासकीय महाविद्यालय, माखन नगर में सेवा पखवाड़ा (seva-pakhwada) के अंतर्गत आज वृक्षारोपण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के प्राध्यापकगण, रासेयो इकाई के अधिकारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल पौधारोपण करना ही नहीं था, बल्कि विद्यार्थियों और समाज को यह संदेश देना भी था कि पर्यावरण संरक्षण हर व्यक्ति की साझा जिम्मेदारी है।

seva-pakhwada

seva-pakhwada कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत नोडल अधिकारी डॉ. अमिताभ शुक्ला द्वारा की गई। उनके साथ रासेयो महिला इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनीता साहू और पुरुष इकाई के कार्यक्रम अधिकारी पंकज बैरवा उपस्थित रहे। इसके अलावा श्रीमती सुषमा यादव, डॉ. सुमन अवस्थी, डॉ. आकांक्षा यादव, सुश्री शिवानी मालवीय, श्रीमती मंजू मेहरा और जितेंद्र अहिरवार जैसे शिक्षकगण भी कार्यक्रम का हिस्सा बने।

महाविद्यालय के प्रांगण में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया, जिनमें फलदार, छायादार और औषधीय पौधे शामिल थे। इन पौधों को संजोने की जिम्मेदारी महाविद्यालय परिवार ने सामूहिक रूप से उठाई।

सेवा पखवाड़ा(seva-pakhwada)और उसका महत्व

सेवा पखवाड़ा (seva-pakhwada)एक राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाने वाला अभियान है, जिसके अंतर्गत शिक्षा संस्थान, सामाजिक संगठन और सरकारी विभाग मिलकर समाजहित के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करते हैं। वृक्षारोपण इस अभियान का एक प्रमुख अंग है, क्योंकि पेड़ हमारे जीवन के आधार हैं।

पेड़-पौधे केवल ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि वायु प्रदूषण को कम करते हैं, जलवायु को संतुलित रखते हैं और जैव विविधता को भी संरक्षित करते हैं। आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, तब ऐसे कार्यक्रम न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रासंगिक हैं।

छात्रों की सक्रिय भागीदारी

इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्साह और जिम्मेदारी के साथ भाग लिया। कई छात्रों ने स्वयं पौधों को लगाया और यह संकल्प लिया कि वे उनकी नियमित देखभाल करेंगे। महाविद्यालय परिसर में विद्यार्थियों की यह सक्रियता सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को दर्शाती है।

छात्रों को इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी दी गईं। उन्हें बताया गया कि—

  • एक पेड़ प्रतिदिन लगभग 22 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है।
  • पेड़ जलस्तर को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  • वृक्ष जैव विविधता (बर्ड्स, कीट, छोटे जीवों) को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।
  • शिक्षा संस्थानों में पौधारोपण से विद्यार्थियों में सामुदायिक चेतना और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।

वृक्षारोपण का शैक्षणिक महत्व

शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों को जीवन मूल्यों और समाज के प्रति जागरूक बनाना भी है। जब विद्यार्थी वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों में भाग लेते हैं तो वे व्यवहारिक रूप से सीखते हैं कि पर्यावरण का संरक्षण कैसे किया जा सकता है। महाविद्यालय परिसर में लगाया गया हर पौधा भविष्य में छाया, फल और स्वच्छ वायु देगा। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित धरोहर साबित होगा।

पर्यावरण संरक्षण: समय की आवश्यकता

आज ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह संकट और गहराएगा। इसीलिए वृक्षारोपण जैसे छोटे-छोटे प्रयास दीर्घकाल में बड़े परिणाम लाते हैं।

महाविद्यालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि समाज को भी एक बड़ा संदेश देता है कि हर व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए।

सामुदायिक भावना और प्रेरणा

इस आयोजन का सबसे सकारात्मक पहलू यह रहा कि इसमें शिक्षकों और विद्यार्थियों ने मिलकर भाग लिया। इससे सामुदायिक भावना को बल मिला। एक पेड़ लगाना केवल पर्यावरणीय कर्तव्य ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने विद्यार्थियों को यह भी प्रेरित किया कि वे अपने घरों और आसपास के क्षेत्रों में भी वृक्षारोपण करें और अपने मित्रों तथा परिजनों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

श्री माखनलाल चतुर्वेदी शासकीय महाविद्यालय, माखन नगर में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम वास्तव में सेवा पखवाड़ा (seva-pakhwada) की भावना को चरितार्थ करता है। इस तरह के प्रयास समाज में पर्यावरणीय चेतना को जागृत करते हैं और शिक्षा संस्थानों को हरित एवं स्वच्छ बनाने में सहायक होते हैं। आज लगाया गया प्रत्येक पौधा आने वाले समय में महाविद्यालय की पहचान बनेगा और यह याद दिलाएगा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाया था।

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