लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस उस समय गर्मा गई जब एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के एक बयान पर कड़ा ऐतराज जताया। सूर्या ने पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्वतंत्र भारत के शुरुआती दौर में सेना के आधुनिकीकरण की कोई नीति नहीं बनाई और देश की सुरक्षा के लिए केवल पुलिस पर निर्भर रहने की बात कही थी।
तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में कहा –
“भारत की आज़ादी के बाद, नेहरूजी ने सेना की आवश्यकता पर संदेह जताया। उन्होंने जनरल लॉकहार्ट से कहा कि भारत की नीति अहिंसा है और हमें सेना की ज़रूरत नहीं, पुलिस ही पर्याप्त है।”
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने तीखी आपत्ति जताई और इसे भारतीय सेना और उनके परिवारों का “घोर अपमान” बताया। उन्होंने संसद में कहा –
“यह कहना कि भारत के पहले प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों को प्रोत्साहित नहीं किया, न सिर्फ ऐतिहासिक रूप से गलत है, बल्कि उन हजारों-लाखों सैनिकों का भी अपमान है जो देश की रक्षा में शहीद हुए। आपने सेना का नहीं, बल्कि हर भारतीय का अपमान किया है जो अपने परिवार को छोड़ देश के लिए खड़ा रहता है।”
सुले ने सूर्या को इतिहास पढ़ने की नसीहत देते हुए कहा –
“यदि आपने इतिहास नहीं पढ़ा है, तो कृपया पढ़िए। जब देश की बात आती है, तो देश पहले आता है, फिर राज्य, फिर पार्टी, फिर परिवार।”
उन्होंने यह भी उजागर किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी नेताओं को भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर भरोसा जताया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उनसे व्यक्तिगत रूप से फोन कर देशहित में 10 दिन देने का अनुरोध किया था। सुप्रिया सुले ने कहा –
“यह प्रधानमंत्री की महानता थी कि उन्होंने विपक्षी नेताओं पर भरोसा दिखाया। मैं उनके इस दृष्टिकोण की सराहना करती हूं।”
सुले ने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के साथ खड़ा है।
“हम राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर पूरी ताकत से सरकार का समर्थन करते हैं।”