भोपाल। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी और अनुपस्थित रहने की प्रवृत्ति रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने ‘हमारे शिक्षक मोबाइल एप’ के जरिए ऑनलाइन उपस्थिति ( attendance) दर्ज करना अनिवार्य किया था। लेकिन सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद यह योजना विफल होती नजर आ रही है। विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि आधे से ज्यादा शिक्षक और प्राचार्य अब भी ऐप पर हाजिरी (attendance) नहीं लगा रहे हैं।

इसी के चलते शिक्षा विभाग ने अब सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले चरण में 1,000 प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो उनकी वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
‘हमारे शिक्षक’ ऐप से हाजिरी (attendance) अनिवार्य
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस साल नए सत्र की शुरुआत में आदेश जारी किया था कि सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षक, प्राचार्य और अतिथि शिक्षक अपनी दैनिक उपस्थिति हमारे शिक्षक मोबाइल ऐप के जरिए ही दर्ज करें।
इसका उद्देश्य था —
- स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना,
- फर्जी हाजिरी और अनुपस्थिति पर नियंत्रण,
- और रियल टाइम डेटा के जरिए पारदर्शिता बढ़ाना।
लेकिन तीन महीने बीतने के बाद विभाग को पता चला कि राज्य के 3 लाख 62 हजार शिक्षकों में से केवल 1 लाख 20 हजार शिक्षक ही नियमित रूप से ऐप पर हाजिरी (attendance) दर्ज कर रहे हैं।
रिकॉर्ड में चौंकाने वाले आंकड़े
लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) की रिपोर्ट के अनुसार,
- 52% नियमित शिक्षक,
- 51% प्राचार्य,
- और सबसे अधिक 90% अतिथि शिक्षक ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।
इससे यह साफ है कि स्थायी शिक्षकों में लापरवाही अधिक है, जबकि अतिथि शिक्षक नियमों का बेहतर पालन कर रहे हैं।
1,000 प्राचार्यों को नोटिस
विभाग ने पहली कार्रवाई के रूप में उन प्राचार्यों की सूची तैयार की है, जिन्होंने न तो अपनी ऑनलाइन उपस्थिति (attendance) दर्ज की, न ही अपने शिक्षकों की अनुपस्थिति और अवकाश की जानकारी पोर्टल पर डाली।
इनमें से करीब 1,000 प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, जिन प्राचार्यों का जवाब असंतोषजनक पाया जाएगा, उनके खिलाफ वेतनवृद्धि रोकने या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
विभाग का कहना है कि जब स्कूल के मुखिया ही नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो शिक्षकों से अनुशासन की उम्मीद करना व्यर्थ है।
शिक्षकों की दलीलें और तकनीकी दिक्कतें
दूसरी ओर, कई शिक्षकों और प्राचार्यों ने इस व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कई ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क कनेक्टिविटी कमजोर है, जिससे ऐप पर हाजिरी (attendance) लगाना मुश्किल होता है।
कुछ शिक्षकों ने यह भी बताया कि ऐप कई बार तकनीकी गड़बड़ी दिखाता है — लोकेशन नहीं पकड़ता, या डेटा अपलोड नहीं होता। इस कारण कई शिक्षक मैनुअल हाजिरी (attendance) रजिस्टर में साइन कर लेते हैं और ऐप अपडेट नहीं कर पाते।
हालांकि विभाग का कहना है कि ऐप में लगातार सुधार किया जा रहा है और तकनीकी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था भी मौजूद है।
विभाग का सख्त संदेश: ‘कोई बहाना नहीं चलेगा’
स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि “ऐप में हाजिरी (attendance) दर्ज करना अनिवार्य है। यह सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का तरीका है।”
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया — “हमने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हर शिक्षक और प्राचार्य सुबह स्कूल में प्रवेश के समय और दोपहर छुट्टी के समय ऐप के जरिए हाजिरी (attendance) दर्ज करें। जो इसका पालन नहीं करेगा, उसे लापरवाही की श्रेणी में रखा जाएगा।”
डेटा से पता चला – ज्यादातर गड़बड़ी ग्रामीण स्कूलों में
लोक शिक्षण संचालनालय के डेटा से यह भी सामने आया है कि सबसे अधिक अनुपालन न करने वाले शिक्षक ग्रामीण और जनजातीय इलाकों के हैं। इन क्षेत्रों में इंटरनेट की धीमी गति और स्मार्टफोन की सीमित उपलब्धता के कारण शिक्षक अक्सर ऐप पर लॉगिन नहीं कर पाते। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में अनुपालन दर अपेक्षाकृत बेहतर है, जहां अधिकतर शिक्षक नियमित रूप से मोबाइल ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
वेतनवृद्धि रोकने की चेतावनी
विभाग ने चेतावनी दी है कि जिन शिक्षकों और प्राचार्यों की ऑनलाइन उपस्थिति (attendance) लगातार दर्ज नहीं हो रही, उनके वेतन और पदोन्नति संबंधी लाभ रोके जा सकते हैं।
इसके अलावा, जो शिक्षक बार-बार बिना सूचना के अनुपस्थित रहते हैं, उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार इस पूरी व्यवस्था को “जीरो टॉलरेंस फॉर एब्सेंटिज्म” नीति के तहत लागू कर रही है।
शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया
मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि पारदर्शिता जरूरी है, लेकिन विभाग को तकनीकी समस्याओं का समाधान पहले करना चाहिए।
संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा — “अगर ऐप सही ढंग से काम करेगा तो हर शिक्षक इसका पालन करेगा। लेकिन नेटवर्क या सर्वर समस्या के कारण हाजिरी (attendance) दर्ज न होना कोई अपराध नहीं माना जाना चाहिए।”
वहीं कुछ शिक्षकों का कहना है कि विभाग को “एक हाइब्रिड सिस्टम” अपनाना चाहिए — यानी जहां नेटवर्क न हो, वहां मैनुअल रजिस्टर मान्य हो और डेटा बाद में ऑनलाइन अपडेट किया जा सके।
विभाग ने दी अंतिम चेतावनी
स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को पत्र भेजकर कहा है कि वे अपने-अपने जिलों में हाजिरी की निगरानी करें। हर सप्ताह रिपोर्ट मांगी जाएगी कि कितने शिक्षक और प्राचार्य ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। यदि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो अगले चरण में सैकड़ों शिक्षकों के खिलाफ वेतन रोकने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
‘हमारे शिक्षक’ मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन हाजिरी प्रणाली का उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति पर निगरानी और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना था। लेकिन तीन महीने बाद ही यह योजना लापरवाही, तकनीकी खामियों और कमजोर अनुशासन के कारण चुनौती में बदल गई है।
अब सवाल यह है कि क्या विभाग सख्त कदम उठाकर इस व्यवस्था को सफल बना पाएगा, या फिर यह भी कई सरकारी योजनाओं की तरह कागज़ों में ही रह जाएगी? आने वाले दिनों में इसका जवाब मिलेगा, जब इन 1,000 प्राचार्यों की जवाबदेही तय होगी।