एसबीआई बैंक के सामने माखननगर का नया “टूरिस्ट स्पॉट”


माखन नगर के बीचोंबीच, ठीक SBI बैंक के सामने एक ऐसा ‘अनूठा स्थल’ विकसित हो चुका है जिसे देखकर नगरवासियों की आँखें चमक उठती हैं। बरसात के दिनों में यहां बना गड्ढा पानी से लबालब भरकर किसी छोटे तालाब का अहसास कराता है। लोग मजाक में इसे “मिनी स्मार्ट सिटी का वॉटर पार्क” कहने लगे हैं। राहगीरों के लिए यह गड्ढा ऐसा ‘सरप्राइज पैकेज’ है, जहां पैर रखते ही या तो छींटे पड़ते हैं या फिर जूते-मोज़े की धुलाई स्वतः हो जाती है।

प्रशासन की नींद हराम करने वाला गड्ढा
यह गड्ढा मानो नगर प्रशासन के सोए हुए सपनों को आईना दिखा रहा हो। नागरिकों का कहना है कि सड़क की मरम्मत का नाम सुनते-सुनते अब उनके कान पक चुके हैं। हर बारिश के साथ गड्ढा और गहरा होता जा रहा है, पर प्रशासन के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती। नगर परिषद सीएमओ जी. एस. राजपूत का बयान भी किसी सुकून दायक लोरी से कम नहीं—“MPRDC को सूचना दे दी गई है, एक-दो दिन में रिपेयर हो जाएगा।” सवाल यह है कि यह “एक-दो दिन” कब पूरा होगा—इस बरसात में या अगली?

बैंक के सामने होने के कारण यह गड्ढा अब ग्राहकों और राहगीरों का ‘सेल्फी प्वॉइंट’ भी बन गया है। कई लोग तो मजाक में कहते हैं कि बैंक के सामने यह गड्ढा असल में “लोन के आँसुओं का तालाब” है। बच्चे इसे अपनी नाव तैराने का स्थल मान चुके हैं। वहीं दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक गड्ढे की वजह से दुकान तक पहुँचने से कतराते हैं। लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने इस गड्ढे को मानो नगर का “ब्रांड एंबेसडर” बना दिया है।

जहां एक ओर नगरवासी व्यंग्य में इस गड्ढे को जल कुंड कहकर पुकारते हैं, वहीं दूसरी ओर यह हादसों को न्योता देता है। रोज़ाना दोपहिया वाहन चालक इसमें फिसलते हैं, और पैदल चलने वाले पानी से बचते-बचते संतुलन खो बैठते हैं। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी उसी ‘दो दिन’ वाली टेप रिकॉर्डिंग पर अटके हैं। लोग कहते हैं कि अगर यही हाल रहा तो जल्द ही इस गड्ढे पर मछली पालन विभाग का बोर्ड लग जाएगा।

नगर के बुद्धिजीवी व्यंग्य करते हैं कि “गड्ढा ही असली जागरूक है, बाक़ी सब तो सो रहे हैं।” सवाल उठता है कि प्रशासन और MPRDC आखिर कब इस तालाब को मिटाकर सड़क बनाएंगे? या फिर इसे स्थायी आकर्षण मानकर टिकट लगाकर “माखन नगर लेक व्यू” घोषित कर देंगे? फिलहाल नागरिक यही चाहते हैं कि अधिकारी आश्वासन के मीठे गीत गाने के बजाय सड़क पर पड़ी इस बड़ी समस्या को सचमुच रिपेयर करें, वरना आने वाली बरसात में यह गड्ढा माखन नगर का नया “ सरोवर” न बन जाए।

कुल मिलाकर, माखन नगर का यह गड्ढा अब प्रशासन की लापरवाही का जीवंत उदाहरण बन चुका है। जनता पूछ रही है—“प्रशासन कब जागेगा? या फिर हमें इस गड्ढे की आरती उतारकर इसे नगर देवता मान लेना चाहिए?”

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