नेपाल में पिछले कुछ सप्ताहों की उथल-पुथल ने राजनीति की धारा बदल दी है। जेन जेड (Gen Z) के नेतृत्व में एक ऐसा आंदोलन खड़ा हुआ जिसने सत्ता समीकरण को हिला दिया और अंततः सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुँचा दिया। यह न केवल नेपाल के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए युवा शक्ति के उभार का प्रतीक है।
मोदी का संदेश: कूटनीति और समर्थन का संकेत
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नेपाल की नई व्यवस्था पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने युवाओं की सक्रियता को “नेपाल में नई सुबह का संकेत” बताया और कहा—”मैं हर उस व्यक्ति की प्रशंसा करूँगा जिसने अस्थिरता के दौर में भी लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोच्च रखा।”
सुशीला कार्की को बधाई देते हुए मोदी ने उम्मीद जताई कि वह नेपाल को शांति, स्थिरता और समृद्धि की ओर ले जाएँगी। साथ ही, उन्हें नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने पर “महिला सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण” करार दिया।
मोदी का यह संदेश केवल शुभकामनाओं तक सीमित नहीं था। यह भारत-नेपाल संबंधों की गहराई और सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का स्पष्ट संकेत था। प्रधानमंत्री ने कहा—“नेपाल एक मित्र रहा है, बहुत घनिष्ठ मित्र। हम इतिहास और विश्वास के बंधन से जुड़े हैं। हम साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं।”
जेन ज़ेड: (Gen Z) सड़कों से सत्ता तक
नेपाल की नई व्यवस्था की असली कहानी जेन ज़ेड की भूमिका से जुड़ी है।
सड़कों की सफाई और शहरों को सजाने से शुरू हुआ यह आंदोलन जल्दी ही राजनीतिक विद्रोह में बदल गया।
युवाओं ने सोशल मीडिया को हथियार बनाया और पारंपरिक सत्ता ढाँचों को चुनौती दी।
अंततः उन्होंने न केवल पुरानी सरकार को गिराया बल्कि राजनीतिक वर्ग के विरोध के बावजूद सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने में भी सफलता पाई।
यह घटना दक्षिण एशिया में युवाओं की निर्णायक भूमिका का ऐतिहासिक उदाहरण है।
पृष्ठभूमि: भारत-नेपाल रिश्तों का महत्व
भारत और नेपाल का रिश्ता सिर्फ पड़ोसी देशों का नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और विश्वास की साझी विरासत का है।
खुली सीमाएँ, साझा धर्म-संस्कृति और आर्थिक रिश्ते दोनों देशों को एक-दूसरे से गहरे जोड़ते हैं।
नेपाल में अस्थिरता का असर हमेशा भारत पर भी पड़ता है, इसलिए भारत लगातार स्थिर और लोकतांत्रिक नेपाल की वकालत करता रहा है।
मोदी का संदेश इसी नीति की निरंतरता को दर्शाता है।
नेपाल में जेन ज़ेड (Gen Z) का यह उभार और सुशीला कार्की का नेतृत्व, एशियाई राजनीति में एक नया अध्याय खोल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत इस बदलाव को सकारात्मक दृष्टि से देख रहा है और नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहना चाहता है।