सभी ई-कॉमर्स कंपनियों परआवश्यक कार्रवाई

भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने एप और वेबसाइट से ‘स्वास्थ्य पेय’ (हेल्थ ड्रिंक्स) श्रेणी से सभी पेय उत्पादों को हटाने को कहा है. उल्लेखनीय है कि इसी महीने के शुरू में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे खाद्य उत्पादों का समुचित श्रेणीकरण सुनिश्चित करें. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी जांच में पाया था कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 में ‘स्वास्थ्य पेय’ (हेल्थ ड्रिंक्स) जैसी किसी श्रेणी को परिभाषित नहीं किया गया है. कानूनी प्रावधानों के अनुसार, ‘एनर्जी ड्रिंक्स’ बस ऐसे पेय पदार्थ भर हैं, जिनमें कुछ अतिरिक्त सुगंध और स्वाद मिला दिया जाता है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस जांच को अपने निदेश में उल्लिखित किया है. कुछ समय पहले एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने अपने एक पोस्ट में बताया था कि एक उत्पाद विशेष में चीनी की मात्रा इतनी है कि उसे स्वास्थ्य पेय नहीं माना जा सकता. उस उत्पाद को बनाने वाली कंपनी ने उक्त इंफ्लुएंसर को कानूनी नोटिस भेजकर वीडियो हटाने का दबाव बनाया, लेकिन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जांच के बाद मांग की सभी भ्रामक विज्ञापनों को हटाया जाना चाहिए.

यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि कथित स्वास्थ्य पेय की श्रेणी निर्धारित नहीं होने के बावजूद कंपनियां अपने उत्पादों को इस आधार पर लंबे समय से बेच रही हैं. यह केवल नियमों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि छलावा देकर बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का अपराध भी है. हाल के समय में ऐसे भी कुछ मसले आये हैं कि नुकसानदेह मैदा, चीनी और रिफाइंड तेल में बने बिस्किट उत्पादों को स्वास्थ्यवर्धक कह कर बेचा जा रहा है. हमारे देश में हालिया दशकों में बच्चों में मोटापा की समस्या तेजी से बढ़ी है. साल 2003 से 2023 की अवधि के तथ्यों एवं आंकड़ों के आधार पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों में मोटापा 8.4 प्रतिशत है, जबकि अधिक वजन का आंकड़ा 12.4 प्रतिशत है. विभिन्न आकलनों में कहा गया है कि अगर इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगामी वर्षों एवं दशकों में इसमें उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती जायेगी. भारत एक साथ कम पोषण और अत्यधिक पोषण की समस्या का सामना कर रहा है. इसकी सबसे वजह यह है कि लोगों में पोषण को लेकर समुचित जानकारी का अभाव है. ऊपर से अगर बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के नाम पर गलत उत्पाद बेचे जायेंगे, तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है.

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