सिलारी माखन नगर क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की जीवंत झलक देखने को मिलती है। यहाँ अमर ज्योति धार्मिक उत्सव समिति पिछले कई दशकों से नवरात्रि (Navratri) पर्व पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर भक्तों के लिए भव्य दरबार सजाती आ रही है। इस बार भी समिति ने परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मां कालरात्रि के स्वरूप में देवी की भव्य प्रतिमा स्थापित की है।

समिति के संरक्षक पुरुषोत्तम शर्मा जी ने जानकारी देते हुए बताया कि लगातार 48 वर्षों से समिति द्वारा प्रतिमा स्थापना की जा रही है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक चेतना का भी द्योतक है। इस बार भी पूरे क्षेत्र में उत्साह का वातावरण है। देवी प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार उमड़ रही है।
परंपरा का इतिहास
लगभग पाँच दशक पहले समिति के कुछ उत्साही युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर नवरात्रि (Navratri) पर्व पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा प्रारंभ की थी। धीरे-धीरे यह आयोजन पूरे इलाके का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव बन गया। समिति ने हर वर्ष मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं स्थापित कीं और भव्य दरबार सजाया। इस आयोजन ने पूरे नगर में धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को जीवंत बनाए रखा है।
इस वर्ष की विशेषता
इस वर्ष समिति ने मां कालरात्रि की प्रतिमा स्थापित की है। नवरात्रि (Navratri) के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है। देवी का यह स्वरूप अपने भक्तों को भय और संकट से मुक्त कर सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करता है। मां कालरात्रि की प्रतिमा को बेहद आकर्षक ढंग से सजाया गया है। परंपरागत परिधान, अलंकरण और देवी का तेजस्वी स्वरूप श्रद्धालुओं को गहन भक्ति भाव से भर देता है।
साथ ही, स्थानीय कारीगरों द्वारा देसी मिट्टी की मिटकियों से भव्य दरबार सजाया गया है। यह सजावट न केवल कलात्मक सौंदर्य का परिचय देती है बल्कि स्थानीय कला और कारीगरों की मेहनत को भी सम्मानित करती है। मिटकियों से बने दरबार में आकर्षक रोशनी और रंग-बिरंगे फूलों की सजावट ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया है।
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सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
इस आयोजन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह समाज में एकता, भाईचारा और सहयोग की भावना को मजबूत करता है। हर वर्ग के लोग—बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग—इस आयोजन से जुड़ते हैं। प्रतिमा स्थापना और दरबार सजावट से लेकर प्रसाद वितरण और भजन-कीर्तन तक, हर कार्य सामूहिक प्रयासों से पूरा होता है।
समिति द्वारा यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यहां आने वाले श्रद्धालु केवल दर्शन और पूजा के लिए ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए भी आते हैं।
श्रद्धालुओं का उत्साह
प्रतिमा स्थापना के बाद से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। सुबह और शाम के समय आरती और भजन-कीर्तन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं। महिलाएं देवी के जयकारे लगाते हुए पूजा-अर्चना करती हैं, तो बच्चे और युवा उत्सव के रंग में सराबोर दिखाई देते हैं।
अमर ज्योति धार्मिक उत्सव समिति का यह आयोजन सिलारी माखन नगर की पहचान बन चुका है। पिछले 48 वर्षों से निरंतर हो रहा यह उत्सव आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक एकजुटता की मिसाल है। इस बार मां कालरात्रि की प्रतिमा और मिटकियों से सजे दरबार ने आयोजन को और भी विशेष बना दिया है। श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि भक्ति और विश्वास की डोर समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है।