Narmadapuram News: नामांतरण को कंप्यूटर पर दर्ज कराने के एवज में पटवारी ने ली थी रिश्वत

 

 

Narmadapuram News: नामांतरण को कंप्यूटर पर दर्ज कराने के एवज में पटवारी ने ली थी रिश्वत

 

 नर्मदापुरम: विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम नर्मदापुरम के द्वारा नामांतरण कंप्यूटर पर दर्ज कराने के नाम पर रिश्वत लेने वाले आरोपित पटवारी जितेंद्र ठाकुर को चार साल की सश्रम करावास की सजा सुनाई गई है। आरोपित पर दो हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है।

जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि प्रकरण के फरियादी अशोक पटेल के द्वारा लोकायुक्त कार्यालय भोपाल में इस बात की शिकायत की गई थी कि ग्राम खैरा में उसके पिता के द्वारा खरीदी गई जमीन एवं बटवारे में प्राप्त जमीन का नामांतरण कम्प्यूटर रिकार्ड में दर्ज करने के संबध में पटवारी जितेंद्र ठाकुर तहसील पिपरिया के द्वारा नामांतरण को कंप्यूटर में दर्ज कराने के नाम से पांच हजार रुपये की मांग की जा रही है। जिसकी जांच सत्यापन पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संभाग भोपाल के निर्देश पर निरीक्षक नीमल पटवा के द्वारा कराया गया। जांच में पाया कि पटवारी जितेंद्र ठाकुर फरियादी अशोक पटेल और उसके मित्र मनोज पटेल की जमीन के संबध में काम के लिये पांच हजार रुपये की मांग की गई। जिसे फरियादि के द्वारा दिये गये डीवीआर में रिकार्ड किया गया था।जिसके आधार पर आरोपित जितेंद्र ठाकुर के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई की गई।

पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त के द्वारा ट्रेप दल गठित किया गया जिसमें निरीक्षक उमा कुशवाहा, निरीक्षक संजय शुक्ला, निरीक्षक सलील शर्मा, आर ब्रजबिहारी पांडे, मुकेश पटेल शामिल थे। कार्रवाई लोकायुक्त निरीक्षक नीलम पटवा के नेतृत्व में हुई। 06 सितंबर 2018 को फरियादी अशोक पटेल से पटवारी द्वारा उसके घर पर पैसे लेते हुये रंगे हाथों पकडा। प्रकरण में अग्रिम विवेचना संजय जैन उप पुलिस अधीक्ष्क के द्वारा की गई। विवेचना उपरांत आरोपित के विरू़द्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन के द्वारा 17 अभियोजन साक्षियों के परीक्षण कराये गये। अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्क पर विचार करते हुए विशेष न्यायालय के द्वारा आरोपित को रिश्वत मांगने एवं लेने के आरोप में दोषी पाते हुए 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक दिनेश कुमार यादव ने की।

 

 

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