दीपकशर्मा/माखननगर: जनपद पंचायत माखन नगर की ग्राम पंचायत नसीराबाद एवं गनेरा में अमृत सरोवर में हुए फर्जीबाड़े को लेकर जिला पंचायत ने इसमें शामिल सभी सभी संबंधित लोगों को कारण बताओं नोटिस जारी किए हैं। ऐसा नहीं की पंचायत में हो रहा है हर फर्जीबाड़े में सरपंच सचिव ही जिम्मेदार हो अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। ‘देर आए, दुरुस्त आए’ भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन में कुछ कार्रवाई करने की मंशा तो जाहिर की । कही यह नोटिस दिखावा तो नहीं या फिर अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई करने की मनसा भी रखते हैं।
ऐसा देनवापोस्ट क्यों कह रहा है इसके पीछे एक कारण क्योंकि अमृत सरोवर सारा मामला मनरेगा जुड़ा हुआ है। ऐसे में मनरेगा सिर्फ आठ लोगों को जिला पंचायत नर्मदापुरम से नोटिस जारी किए गए हैं। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार इसमें कुछ लोगों को ओर नोटिस जारी किए जाने थे। जो इस सारे खेल में शामिल थे लेकिन उनको नोटिस जारी ही नही किए गए। जो अपने आप में एक सवाल है। जिला पंचायत से जिन्हें नोटिस जारी हुए हैं उनके नाम इस प्रकार है वर्तमान सरपंच नसीराबाद उषा बाई , सचिव दुलारे मालवीय, जीआरएस कैलाश अहिरवार, गनेरा के वर्तमान सरपंच कृष्ण कुमार झा, सचिव जयसिंग यादव, जीआरएस संतोष यादव,सुनीता चौहान सहायक लेखा अधिकारी मनरेगा एवं तत्कालीन उप यंत्री हर्षेंद्रनाथ तिवारी इन आठ लोगों को नोटिस जारी किए गए। जबकि मनरेगा के इस भुगतान में तीन लोग ओर जिम्मेदार थे। जब भुगतान किया गया उसे समय ग्रााम पंचायत में आचार संहिता लगी हुई थी तो प्रशासक की जिम्मेदारी थी पंचायत से होने वाले हर भुगतान की। दूसरा वेंडर जिसने ग्राम पंचायत से ज्यादा राशि प्राप्त की और तत्कालीन जनपद सीईओ जिनकी अनुमति के बाद ही भुगतान किया गया। फिर इन आठ लोगों को नोटिस जारी करना सिर्फ खाना पूर्ति ही नजर आती हैं।
मनरेगा में भुगतान की प्रक्रिया
मनरेगा में जो भी भुगतान होता है उसमें ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव का सीधा कोई रोल नहीं होता है। मनरेगा में किए गए कार्य की बकायदा एक नोट शीट बनाई जाती है। जिस पर बिल बाउचर में सरपंच और सचिव के साइन होते हैं। अगर किसी पंचायत में सरपंच नहीं है तो प्रशासक की जिम्मेदारी होती है उस स्थिति में प्रशासक के हस्ताक्षर होते है। फिर उस फाइल में उपयंत्री की वैल्यूएशन रिपोर्ट लगती है। उसके बाद मनरेगा फाईल मनरेगा शाखा में भुगतान के लिए सहायक लेखा अधिकारी के पास पहुंचती हैं। जबतक जनपद सीईओ अप्रूव नही करते जबतक वेंडर को कोई भुगतान नही होता। जनपद सीईओ के अप्रूवल के बाद जनपद सीईओ एवं मनरेगा लेखा अधिकारी की डीएससी के द्वारा मनरेगा की राशि का भुगतान किया जाता है।
यह हैं सारा मामला
जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत नसीराबाद में 2022 में मनरेगा एवं 15वां वित्त के संयोजन से अमृतसर सरोवर निर्माण के लिए 14 लाख 90 हजार की प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई थी। जिसमें मजदूरी पर ग्राम पंचायत में 8 लाख 94 हजार एवं मटेरियल पर 5 लाख 96 हजार व्यय होना था। वही ग्राम पंचायत गनेरा में मनरेगा एवं 15वां वित्त के संयोजन से अमर कारोबार निर्माण हेतु 16 लाख 70 हजार की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी। जिसमें मजदूरी पर 10 लाख 2 हजार एवं मटेरियल पर 6 लाख 68 हजार व्यय होना था। ग्राम पंचायत नसीराबाद में उक्त कार्य पर 7 लाख 11 हजार की राशी मनरेगा से व्यय की वही ग्राम पंचायत गनेरा ने 7 लाख 21 हजार मनरेगा से व्यय की गई। यही वो राशी जिस पर मनरेगा में खेल हो गया औैर ग्राम पंचायत में हुई इसी अनिमित्ता को लेकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत माखन नगर ने पत्र क्रमांक 984 के माध्यम से 30 मार्च 2024 को जिला पंचायत सीईओ को सूचना के माध्यम से अवगत कराया था। उसके बाद जनपद पंचायत माखन नगर के पत्र क्रमांक 984 पर संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत सीईओ एसएस रावत ने 18 अप्रैल 2024 को माखन नगर जनपद की ग्राम पंचायत नसीराबाद एवं गनेरा सरपंच सहित कर्मचारियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किए।
जो शामिल नहीं उन्हें भी मिला नोटिस
ग्राम पंचायत नसीराबाद और गनेरा में अमृत सरोवर में जो भी खेल हुआ है उसमें कार्रवाई करने के चक्कर में अधिकारी ने जो शामिल नहीं उन्हें भी नोटिस थमाने में देर नही की। वेंडर को मनरेगा का भुगतान जून 2022 में किया गया और नोटिस वर्तमान सरपंचों को जारी किए गए। जबकि गनेरा सरपंच कृष्ण कुमार झा और नसीराबाद सरपंच उषा बाई जुलाई 2022 में मनोनीत हुए। जिला पंचायत सीईओ द्वारा इन्हे दिए गए नोटिस यह बात समझ से परे हैं। देनवा पोस्ट को गनेरा सरपंच कृष्ण कुमार झा ने बताया गनेरा पंचायत में अमृत सरोवर हमारे कार्यकाल से पहले स्वीकृत हुआ था और उसका भुगतान भी हमारे कार्यकाल के पहले ही किया है फिर भी जिला पंचायत सीईओ द्वारा हमें कारण बताओं नोटिस धारा 40 के तहत दिया गया है। यह नियम विरुद्ध जबकि इस मामले में हमारा कोई लेना-देना ही नहीं हैं।
वेंडर का नोटिस टाइप हुआ लेकिन सीईओ ने नही किए साइन
वेंडर राजेश राय के खिलाफ पत्र क्रमांक 139 कारण बताओं नोटिस टाइप तो किया गया । लेकिन उस पर जिला पंचायत सीईओ द्वारा साइन नहीं किया। ऐसा क्यों जबकि सारे मामले में वेंडर की भूमिका संदिग्ध है। ग्राम पंचायत नसीराबाद द्वारा वेंडर को 5 लाख 95 हजार की राशि का भुगतान किया गया। जबकि ग्राम पंचायत की एमबी में मटेरियल का मूल्यांकन मात्र 98 हजार ही किया गया वही बात की जाए गनेरा पंचायत की तो पंचायत द्वारा 6 लाख 67 हजार का भुगतान किया गया वहीं पंचायत की एमबी में भी मटेरियल मूल्यांकन करीब 95 हजार किया गया। लाखों का भुगतान वेंडर के खाते में होने के बाद भी वेंडर को इस मामले से बाहर रखा जा रहा है। ऐसा नही कि जनपद वेंडर पर कोई कार्रवाई नही कर सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत माखननगर की पंचायतों में अन्य वेंडरों ने निर्माण सामग्री पहुंचायी थी। कोई मामला नही होने पर भी विगत चार माह से भुगतान पर रोक लगी है और कुछ पर तो एफआईआर होने की बात भी सामने आ रही हैं। फिर इसपर इतनी मेहरबानी क्यो?
दो अधिकारियों से इतनी बड़ी चूक।
अमृतसर सरोवर में ग्राम पंचायत नसीराबाद और पंचायत गनेरा में मटेरियल का जो भुगतान किया गया उसमें दो अधिकारियों की भी भूमिका रही हैं। जिला पंचायत द्वारा माखन नगर जनपद के दो अधिकारियों को नोटिस क्यों जारी नहीं किया गया? जब ग्राम पंचायत में आचार संहिता लगी थी उसे समय प्रशासक पीसीओ नारायण मालवीय को चार्ज दिया गया था। उस दोरान पंचारयत में होने वाले भुगतान के बिल वाउचर पर उनके द्वारा ही साइन किए जाते थे। इस प्रकरण में भी नारायण मालवीय द्वारा ही हस्ताक्षर किए गए और जानकारी वर्तमान सरपंच से मांगी जा रही हैं। वही तत्कालीन सीईओ संदीप डाबर के पास भुगतान के लिए जब यह फाइल आई तब उनके द्वारा इस फ़ाइल को वेरीफाई किया गया होगा। ऐसे कैसे हुआ कि जब उन्होने देखा तब सब ठीक था
ओर भुगतान करने के बाद सब गड़बड़ हो गया। क्याकि जनपद सीईओ के डिजीटल सिग्नेचर के बिना भुगतान संभव ही नही। यह जांच का विषय है लेकिन इन्हे नोटिस ही नही दिया गया। इसलिए इस सारे मामले में कार्यवाही कम खानापूर्ति ज्यादा नजर आ रही है।